एक शीर्ष चीनी अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका को भारत और चीन के सीमा विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के दोनों देशों के प्रयासों का सम्मान करना चाहिए। दोनों पड़ोसी देश इतने समझदार हैं कि वे अपने विवाद सुलझा सकते हैं। चीनी अधिकारी ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब अमेरिका ने चीन पर भारत-चीन सीमा पर अधिक बल तैनात करने का आरोप लगाया है। चीन के विदेश मंत्री ने कहा, ‘चीनी पक्ष चीन और भारत के बीच सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखने और भारत के साथ वार्ता के जरिए सीमा संबंधी विवाद सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।’
पेंटागन ने एक रिपोर्ट में कहा है कि बेजिंग ने भारत से सटी सीमा पर अपनी सुरक्षा क्षमताएं बढ़ा दी हैं और अधिक बल को तैनात किया है। अमेरिका की सैन्य रिपोर्ट में विश्व के विभिन्न हिस्सों, खासकर पाकिस्तान में चीनी सेना की बढ़ती मौजूदगी को लेकर भी सचेत किया गया है। विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा, ‘चीन और भारत इतने समझदार और सक्षम हैं कि वे इस मामले से निपट सकें। उम्मीद की जाती है कि अन्य देश विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन और भारत के प्रयासों का सम्मान करें, न कि इसके विपरीत काम करें।’ पूर्वी एशिया के रक्षा मामलों के सहायक उप मंत्री अब्राहम एम डेनमार्क ने कहा था, ‘हमने भारत की सीमा के पास के इलाकों में चीनी सेना की ओर से क्षमता और बल मुद्रा में इजाफा पाया है।’
डेनमार्क ने चीनी जनवादी गणराज्य की सेना और सुरक्षा घटनाक्रम पर अमेरिकी कांग्रेस में पेंटागन की सालाना 2016 रिपोर्ट पेश करने के बाद कहा, ‘यह तय करना मुश्किल है कि इसके पीछे वास्तविक मंशा क्या है।’ उन्होंने तिब्बत में सैन्य कमान का स्तर उन्नत करने के चीन के कदम पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘यह कहना मुश्किल है कि इसमें से कितना आंतरिक स्थिरता बरकरार रखने की आंतरिक मंशा से और कितना बाहरी मंशा से प्रेरित है।’ चीन के रक्षा मंत्रालय ने पेंटागन की रिपोर्ट पर गहरा असंतोष जताया था। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि चीन अपने नियंत्रण का दावा करने के लिए दक्षिण चीन सागर में निर्मित कत्रिम द्वीपों के सैन्यीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
चीन के रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया था कि पेंटागन की इस सालाना रिपोर्ट में चीन के सैन्य विकास को गलत ढंग से पेश किया गया है। यांग ने कहा कि जो अमेरिका चीनी सेना पर पारदर्शिता में कमी का आरोप लगा रहा है, उसने चीन की रक्षा नीतियों को जानबूझकर तोड़ मरोड़कर पेश किया है और पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर में उसकी गतिविधियों को अनुचित तरीके से पेश किया है। यांग ने एक बयान में कहा, ‘चीन एक ऐसी राष्ट्रीय रक्षा नीति पर चलता है, जो रक्षात्मक प्रकृति की है। सैन्य सुधारों को गहरा करने और सैन्य निर्माण जैसे कदमों का उद्देश्य संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखना और चीन का शांतिपूर्ण विकास सुनिश्चित करना है।’ उन्होंने कहा कि अमेरिकी पक्ष हमेशा से संदिग्ध रहा है।
दक्षिण चीन सागर चीन और अमेरिका के बीच सैन्य तनाव का एक बड़ा बिंदू रहा है। बेजिंग इस पूरे विवादित जलक्षेत्र पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है और उसने वहां सैन्य ठिकानों वाले कृत्रिम द्वीपों का निर्माण भी किया है। फिलीपीन, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और ताइवान चीन के इन दावों के विरोध में हैं।