अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से पहले डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट में अबॉर्शन का मुद्दा काफी हावी रहा। इस मामले को लेकर कमला हैरिस और ट्रंप के बीच जोरदार बहस देखने को मिली। ट्रंप ने आरोप लगाया कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनीं तो अबॉर्शन को लेकर नियम बदल देंगी। आखिर अमेरिका में अबॉर्शन को लेकर क्या कानून है और चुनाव से पहले इस पर क्यों बहस हो रही है? इस रिपोर्ट में इसे विस्तार से समझते हैं।

प्रेसिडेंशियल डिबेट में क्या-क्या हुआ

सबसे पहले जानते हैं कि प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान यह मुद्दा क्यों उठाया गया। डिबेट के दौरान दोनों उम्मीदवारों से गर्भपात कानून को लेकर सवाल पूछा गया। ट्रंप ने डिबेट के दौरान कमला हैरिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर कमला हैरिस को राष्ट्रपति बनाया गया तो वह अबॉर्शन को लेकर कानून बदल देंगी। हालांकि जब ट्रंप से पूछा गया कि उन्होंने 6 महीने बाद भी अबॉर्शन की अनुमति देने को लेकर बयान दिया था, उससे वह क्यों पलट गए? इस पर ट्रंप ने कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी प्रेग्नेंसी के 9वें महीने में अबॉर्शन का अधिकार देना चाहती है। ट्रंप ने कहा कि वर्नीनिया के गवर्नर का भी बयान आया था जिसमें कहा गया कि बच्चा पैदा होने के बाद देखा जाएगा कि उसका क्या करना है, जरूरत पड़ी तो उसे मार देंगे। ट्रंप ने कहा कि ऐसे बयान आने के बाद उन्होंने अपना बयान बदला। इस पर कमला हैरिस ने कहा कि ट्रंप नहीं बता सकते कि महिलाओं को अपने शरीर के साथ क्या करना चाहिए।

अमेरिका में अबॉर्शन को लेकर क्या है कानून?

दो साल पहले तक अमेरिका में अबॉर्शन को लेकर एक जैसे कानून थे। यहां अबॉर्शन का अधिकार दिया गया था। 1973 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड मामले में फैसला देते हुए महिलाओं को अबॉर्शन को अधिकार दिया था। हालांकि महिलाएं 24 सप्ताह तक अबॉर्शन करा सकती थीं। जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्य अपने-अपने हिसाब से अबॉर्शन पर कानून बना सकते हैं।

अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में अबॉर्शन को लेकर अलग कानून है। कुछ राज्यों में अबॉर्शन पर पूरी तरह रोक है तो कहीं इसे लीगल माना गया है। अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं। इनमें से कुछ राज्य ऐसे हैं जहां अबॉर्शन की इजाजत नहीं दी गई है। अमेरिका में अलाबामा, अर्कांसास, लुईसियाना, मिसिसिपी, नॉर्थ डकोटा, साउथ डकोटा, ओक्लाहामा, टेनेसी, इडाहो, इंडियाना, केंटकी, मिसूरी, टेक्सास और वेस्ट वर्जीनिया ऐसे राज्य हैं जहां किसी भी परिस्थिति में अबॉर्शन नहीं कराया जा सकता है। यहां तक कि रेप पीड़िताओं को भी कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के 22 राज्य ऐसे हैं, जहां अबॉर्शन पर या तो पूरी तरह प्रतिबंध है या फिर आंशिक रूप से लगाया गया है।

इन राज्यों में शर्त के साथ अबॉर्शन की इजाजत

अमेरिका में 8 ऐसे राज्य हैं जहां शर्तों के साथ अबॉर्शन की इजाजत है। जॉर्जिया, आयोवा, साउथ कैरोलिना और फ्लोरिजा में 6 सप्ताह तक गर्भपात की इजाजत है। वहीं नेब्रास्का और नॉर्थ कैरोलिना में ये सीमा 12 हफ्तों की है। इसके अलावा एरिजोना में 15 हफ्ते तक अबॉर्शन कराने की इजाजत दी गई है। यूटा राज्य की महिलाएं 18 हफ्ते तक अबॉर्शन करा सकती हैं।

इन राज्यों में गर्भपात कानून अधिकार

अमेरिका के 26 राज्यों में गर्भपात को कानूनी अधिकार दिया गया है। वॉशिंगटन डीसी, कैलिफोर्निया, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, वर्जीनिया, अलास्का, न्यू मैक्सिको, वॉशिंगटन, मैसाचुएट्स, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, ओरेगन, कंसास, न्यू हैम्पशायर, ओहायो, विस्कॉन्सिन, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनोइस, मेन, मैरीलैंड, पेनसिल्वेनिया, रोड आइलैंड और वर्माउंट में अबॉर्शन को कानूनी अधिकार किया गया है। यहां 22 से 24 सप्ताह तक महिलाएं गर्भपात करा सकती हैं। अलास्का, वॉशिंगटन डीसी, कोलोराडो, मिनेसोटा, न्यू जर्सी, न्यू मैक्सिको, ओरेगन और वर्माउंट में ऐसी कोई भी सीमा नहीं है।

अमेरिका में गर्भपात पर क्यों हो रही बहस?

अमेरिका का एक वर्ग महिलाओं को गर्भपात का अधिकार देने के पक्ष में है जबकि धार्मिक वर्ग के लोग इससे खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि भ्रूण को भी जीवन का अधिकार है। इसी को देखते हुए अलग-अलग राज्यों में गर्भपात को लेकर अलग कानून बनाए गए हैं। महिलाएं गर्भपात को मंजूरी देने की मांग कर रही हैं। जून में एसोसिएटेड प्रेस/एनओआरसी की ओर से एक सर्वे भी कराया गया। इसमें लगभग 61% वयस्क ने कहा कि उनके राज्य में गर्भपात की इजाजत दी जानी चाहिए। जिन राज्यों में अबॉर्शन पर बैन है, वहां की 67% महिलाओं का भी यही मानना था। सर्वे में रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों में से 57% ने ही माना कि महिलाओं को अबॉर्शन का हक मिलना चाहिए। जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी के 85% समर्थकों ने अबॉर्शन के कानूनी अधिकार का समर्थन किया।