US Presidential Election: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का कार्यकाल खत्म होने वाला है और अगले राष्ट्रपति का चुनाव नवंबर में होने है। इस बीच बाइडेन ने आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी कि अब राष्ट्रपति चुनाव से पीछे हट रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति पद की बहस में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ बेहद खराब प्रदर्शन करने के चलते रिपब्लिकन पार्टी और उनके प्रत्याशी की दावेदारी ज्यादा मजबूत लग रही थी, जिसके डेमोक्रेट्स को झटका लगा था। ऐसे में पार्टी की हार की संभावनाएं भी ज्यादा हो गईं थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चुनाव न लड़ने का ऐलान ऐसे वक्त में किया है, जब कुछ समय पहले ही पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से लेकर डोमोक्रेटिक पार्टी के कई गवर्नरों और कांग्रेस के सदस्यों ने उनसे उम्मीदवारी छोड़ने की बात कही थी। उसी वक्त यह तय हो गया था कि बाइडेन का चुनाव से पीछे हटने के संकेत उसी समय से मिलने लगे थे। यहां तक कि पूर्व अमेरिकी सदन अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने भी उनके इस दौड़ से बाहर होने के पक्ष में बयान दिए थे।
बाइडेन की उम्मीदवारी थी ट्रंप की जीत का संकेत
अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अब वह राष्ट्रपति पद के लिए शीर्ष दावेदार हैं लेकिन अभी यह तय नहीं है कि उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए नामित किया जाएगा या फिर वह उप-राष्ट्रपति पद के लिए नामित होंगी। खास बात यह है कि पहले बाइडेन की उम्मीदवारी के चलते ट्रंप की जीत आसान लग रही थी, कुछ लोगों ने मामूली अंतर से जीत की भविष्यवाणी की थी, और कुछ ने कहा कि यह एक ज़बरदस्त जीत होगी। उनके स्वास्थ्य, उम्र, गलतियों और ग़लतियों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि 80 वर्षीय बाइडेन इस पद की चुनौतियों के लिए तैयार नहीं थे।
बाइडेन पर भारी पड़ रहे थे डोनाल्ड ट्रंप
रविवार को मिशिगन में हुए एक नए सर्वेक्षण में ट्रंप को बाडेन के खिलाफ़ 49 प्रतिशत से 42 प्रतिशत की बढ़त दिखाई गई। EPIC-MRA सर्वेक्षण डेट्रॉइट फ़्री प्रेस के लिए है , जिसमें बताया गया है कि मेट्रो डेट्रॉइट सहित राज्य के हर क्षेत्र में ट्रंप आगे चल रहे है, जहां बाइडेन ने 2020 में ट्रंप को 56 प्रतिशत से 40 प्रतिशत से हराया था। इसलिए, व्हाइट हाउस की दौड़ से स्वयं को हटाकर उन्होंने खुद को ट्रंप से मिलने वाली हार से बचाने का कदम उठाया है।
भारत के लिए क्यों है अहम
भारत के लिए यह व्हाइट हाउस की दौड़ को करीब से देखने का समय है। अमेरिका-भारत संबंधों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रहा है। पिछले कुछ महीनों में, सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की अमेरिका में हत्या की साजिश रचने और भारत द्वारा रूस को गले लगाने के आरोप के बाद संबंधों में खटास आई है, लेकिन वाशिंगटन में अस्थिर स्थिति के कारण, दिल्ली अपने दांव को सुरक्षित रख रही है।
ऐसे में अगर ट्रंप व्हाइट हाउस में वापस आते हैं तो पुतिन के प्रति उनका लगाव पुराना हो सकता है, लेकिन व्हाइट हाउस में उनकी एंट्री के बावजूद हत्या की साजिश की आंशका बनी रह सकती है। दिल्ली अगले कुछ हफ्तों तक बेसब्री से इंतजार करेगी, जब तक कि डेमोक्रेटिक पार्टी अगस्त में अपने सम्मेलन में अपने अपने प्रत्याशी का चयन नहीं कर लेती है। इसकी वजह यह भी है कि बाइडेन के उत्तराधिकारी के तौर पर कमला हैरिस का नाम सबसे आगे हैं, जो कि भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं