अमेरिका में हिंदू समुदाय ने पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली में हिंदू विवाह विधेयक पारित किए जाने की प्रशंसा की है। यह विधेयक देशभर में हिंदू विवाहों को आधिकारिक रूप से मान्यता देता है। हिंदू अमेरिकी फाउंडेशन (एचएएफ) ने कल एक बयान में कहा, ‘‘हिंदू विवाह विधेयक को हिंदू जनसंख्या के बीच होने वाले विवाहों को वैध बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, जिन्हें पूर्व में आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं थी।’
एचएएफ के वरिष्ठ निदेशक समीर कालड़ा ने कहा, ‘‘यह पाकिस्तान की करीब 20 लाख की हिंदू जनसंख्या को मानवाधिकार एवं मौलिक असैन्य अधिकार देने के लिए उठाया गया आवश्यक कदम है जो काफी समय से लंबित था। इस विधेयक से पूर्व हाल में सिंध प्रांतीय असेंबली में भी इसी प्रकार का विधेयक पारित हुआ था जहां बड़ी संख्या में पाकिस्तान की हिंदू जनसंख्या रहती है।
इस विधेयक को अब देश के उच्च्परी सदन सीनेट में मंजूरी मिलना बाकी है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही व्यापक बहस का विषय बने हुए हिंदू विवाह विधेयक 2016 को दशकों की देरी और निष्क्रियता के बाद आखिरकार पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पेश कर दिया गया। यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय में विवाहों के लिए एक कानूनी संरचना पेश करता है। हिंदू विवाह विधेयक 2016 पर विधि एवं न्याय की स्थायी समिति की रिपोर्ट बुधवार (17 अगस्त) को नेशनल असेंबली में पेश की गई। चूंकि सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) इसका समर्थन कर रही है, इसलिए यह मंजूरी से महज एक ही कदम दूर है।
नेशनल असेंबली के सदस्य और विधेयक लाने वालों में से एक रमेश लाल ने कहा कि विधेयक को मंजूरी देने में समिति को 10 माह लग गए और इसकी रिपोर्ट को सदन में पेश करने में छह माह और लग गए। स्थायी समिति ने इस विधेयक को आठ फरवरी को मंजूरी दी थी। डॉन ऑनलाइन ने लाल के हवाले से कहा, ‘यह देरी संभवत: असाधारण बहसों और इस विधेयक पर चर्चा के कारण हुई। लेकिन कम से कम अब सरकार को अगले सत्र में इसे सदन में रखने के बारे में सोचना चाहिए।’
कालड़ा ने कहा कि 1947 में देश के गठन के बाद से पाकिस्तान में हिंदू विवाहों को मान्यता देने के लिए एक कानूनी तंत्र के अभाव के कारण हिंदुओं को बड़े पैमाने पर मतभेद का सामना करना पड़ा और इसके कारण हिंदू महिलाओं को धर्म परिवर्तन और अपरिचित मुस्लिम पुरूषों से विवाह के लिए बाध्य होना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान सीनेट के शीघ्र इसे पारित करने और सरकारी प्रधिकारियों द्वारा इसे सख्ती से लागू किए जाने से मतभेद और हिंदू महिलाओं का जबरन धर्मांतरण बंद होगा।’’
एचएएफ के सरकारी संबंधों के निदेशक जय कंसारा ने कहा, ‘‘इस विधेयक में खामियां हो सकती हैं लेकिन यह पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए मील का पत्थर है।’’
कंसारा ने कहा, ‘‘लेकिन हिंदू विवाह अधिनियम के पारित होने से पाकिस्तान द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन किए जाने और आतंकवादी संगठनों को प्रायोजित किए जाने के मामलों पर से ध्यान नहीं हटना चाहिए। इन आतंकवादी संगठनों ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत में हजारों लोगों की हत्या की है।’’