अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के दो सदस्यों ने कहा है कि देश के अगले राष्ट्रपति को निश्चित तौर पर भारतीयों का ‘गर्मजोशी’ से स्वागत करने के लिए तैयार रहना चाहिए और अमेरिका की पुरानी पड़ चुकी ‘निर्यात नियंत्रण नीति’ में सुधार के लिए उन्हें कांग्रेस के साथ मिलकर काम करना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से भारत के साथ अमेरिका का रक्षा सहयोग सीमित हुआ है। ‘नेशनल इंटरेस्ट’ पत्रिका के ताजा अंक में प्रकाशित ऑप-एड में लिखे संयुक्त लेख में पुनीत अहलुवालिया और एलेक्जेंडर बी ग्रे ने लिखा, ‘अमेरिका में पुनर्संतुलन के लिए अगले अमेरिकी राष्ट्रपति को निश्चित रूप से भारतीयों को खुले दिल से स्वागत करने के लिए तैयार रहना चाहिए।’ अहलुवालिया को हाल में ट्रम्प अभियान की ‘एशिया प्रशांत अमेरिकी सलाहकार समिति’ के लिए नियुक्त किया गया था, जबकि ग्रे औपचारिक तौर पर अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की सैन्य सेवा समिति के एक सदस्य के वरिष्ठ सलाहकार के तौर पर सेवा दे चुके हैं।

लेख में लिखा गया है, ‘अमेरिका के विदेश नीति प्रतिष्ठान को ज्यादा नियमितता के साथ ‘भारत-प्रशांत’ के उल्लेख करना शुरू करना चाहिए। यह उस मानचित्र का ना सिर्फ ज्यादा सटीक उल्लेख है जिसपर अमेरिका और चीन प्रतिस्पर्धा करेंगे, बल्कि भारत के सामरिक महत्व की एक अहम मान्यता भी होगी।’ अहलुवालिया और ग्रे ने कहा कि अगले शासन को ‘पुरानी’ पड़ चुकी निर्यात नियंत्रण नीति में सुधार के लिए अमेरिकी कांग्रेस के साथ मिलकर काम करना चाहिए, जो अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग सीमित कर रही है। उन्होंने कहा कि इन्हीं नियमों के चलते अमेरिका भारत को प्रीडेटर ड्रोन का सैन्य संस्करण बेच नहीं सकता, जबकि इसका असैन्य संस्करण उसे पहले ही दिया जा चुका है। उन्होंने कहा, इसी तरह के प्रतिबंधों के कारण विदेशों में विशेषकर नौसैनिक और अंतरिक्ष क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी स्थानांतरण और रक्षा सहयोग बाधित हुआ है। ऑप-एड में लिखा है, ‘अमेरिका अत्यधिक जटिल नौकरशाही के लिए लंबे समय से भारत की आलोचना करता रहा है, लेकिन अब समय है कि इस संबंध को मजबूती करने के लिए उसे अपनी ही दस्तावेजी कमजोरियों को दूर करना चाहिए।’