अमेरिका ने भारत की सर्जिकल स्‍ट्राइक का समर्थन किया है। अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा है कि ”भारत ने खुद को बचाने के लिए जो जरूरी लगा, वह किया, हम इसे समझते हैं।” उरी हमले में 19 जवानों के शहीद होने के बाद 28-29 सितंबर की रात को भारतीय सेना ने एलओसी पर ‘आतंकी लॉन्‍च पैड्स’ पर हमला किया था। द हिन्‍दू को दिए एक इंटरव्‍यू में में अमेरिका ने माना है कि उसने पाकिस्‍तानी नेतृत्‍व से आतंकी समूहों के तौर पर ‘प्रॉक्‍सी’ के बारे में बात की है। वर्मा ने कहा कि ‘भारत के साथ मजबूती से खड़े होना’ जरूरी था। जब उनसे यह पूछा गया कि अमेरिका के कड़े शब्‍दों का असर जमीन पर क्‍यों नहीं दिखता, खासतौर पर जैश-ए-मोहम्‍मद और लश्‍कर-ए-तैयबा के मामले में। तो उन्‍होंने खुलासा किया है 2011 के बाद पाकिस्‍तान को मिलने वाली अमेरिकी सैन्‍य सहायता में 73 फीसदी की कमी आई है। पाकिस्‍तानी सरकार द्वारा आतंकी की कार्रवाई पर मतभेद के चलते ऐसा किया गया। वर्मा ने एफ-16 विमानों की बिक्री और पेंटागन द्वारा रोकी गई 300 मिलियन डाॅलर की राशि का जिक्र भी किया।

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वर्मा ने कहा कि वह ”आशावादी” हैं मगर भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्‍यता पर कोई तय समयसीमा नहीं बता सकता। वर्मा ने इस पर भी कुछ नहीं कि कहा कि क्‍या राष्‍ट्रपति ओबामा चीनी सरकार से उसके (भारत की एनएसजी सदस्‍यता पर) विरोध पर चर्चा करेंगे। उन्‍हाेंने कहा, ”हम भारत की उम्‍मीदवार पर एनएसजी के हर सदस्‍य से बात कर रहे हैं। भारत की उम्‍मीदवारी पर काफी समर्थन है, प्रक्रिया से आगे तो नहीं जा सकते।”

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वर्मा ने कहा है कि ”इसमें कोई शक नहीं कि हमने पिछले दो साल में अपने रिश्‍ते का सबसे मजबूत दौर देखा है। इसका ज्‍यादातर श्रेय पीएम (नरेंद्र मोदी) और राष्‍ट्रपति (ओबामा) को जाता है, लेकिन दशकों से चली आ रही दोस्‍ती भी अब रंग दिखा रही है। हमने दोनों देशों के तंत्र में सामंजस्‍य स्‍थापित करने के लिए सरकारों के बीच करीब 40 बार बातचीत हो चुकी है, इसी वजह से हम बड़ी परेशानियां सुलझाने में कामयाब रहे हैं। मैं हमेशा मजाक करता हूं कि अमेरिकी हाउस आॅफ रिप्रेजेंटेटिव्‍स का सबसे बड़ा कॉकस अमेरिका-इंडिया कॉकस है जिसमें 340 प्रतिनिधि हैं। ऐसे समय में और कोई मुद्दा इतनी संख्‍या को नहीं ला सकता था?”