एक अमेरिकी संघीय न्यायाधीश ने जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता को देश से बाहर निकालने के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के फैसले पर रोक लगा दी है। यह शोधकर्ता छात्र वीजा पर पढ़ाई और शिक्षण कर रहे थे और उन पर इजरायल-हमास संघर्ष में अमेरिका की विदेश नीति का विरोध करने का आरोप लगाया गया था।

घर के बाहर से हिरासत में लिया गया था

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी संघीय आव्रजन अधिकारियों ने भारतीय नागरिक और पोस्टडॉक्टोरल फेलो बदर खान सूरी को सोमवार रात वर्जीनिया के आर्लिंगटन के रॉसलिन इलाके में उनके घर के बाहर से हिरासत में लिया। उनके वकील ने एक मुकदमे में उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है।

अमेरिकी जिला न्यायाधीश ने आदेश दिया कि जब तक अदालत कोई अन्य निर्णय नहीं लेती, तब तक सूरी को देश से नहीं निकाला जाएगा। सूरी को आव्रजन कानून की उस धारा के तहत हिरासत में लिया गया था, जिसका इस्तेमाल पहले कोलंबिया विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र महमूद खलील को निर्वासित करने के लिए किया गया था।

विदेश नीति के लिए खतरा बताया गया

अमेरिकी कानून के अनुसार, विदेश मंत्री को यह अधिकार है कि वे गैर-नागरिकों को निर्वासित कर सकते हैं, यदि उनकी उपस्थिति अमेरिकी विदेश नीति के लिए खतरा बनती है। पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, सूरी की याचिका में दावा किया गया है कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और न ही उन पर कोई आपराधिक मामला दर्ज है।

व्यक्तिगत कारणों से निशाना बनाए जाने का आरोप

सूरी के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को उनकी पत्नी की बैकग्राउंड के कारण निशाना बनाया जा रहा है। उनकी पत्नी, मेफ़ेज़ सालेह, जो अमेरिकी नागरिक हैं, फिलिस्तीनी मूल की हैं और पहले अल जज़ीरा में काम कर चुकी हैं। याचिका के अनुसार, उन पर “हमास से संबंध” होने के आरोप भी लगाए गए हैं।

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यूएस डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी की प्रवक्ता ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 15 मार्च, 2025 को सूरी का वीजा रद्द करने का निर्णय लिया। सरकार का आरोप है कि सूरी सोशल मीडिया पर हमास का समर्थन कर रहे थे और यहूदी विरोधी विचारधारा को बढ़ावा दे रहे थे।

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कार्रवाई को अपनी नीतियों का हिस्सा बताते हुए कहा कि “आतंकवादी समर्थकों” और “अमेरिका विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों” पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मामले के बाद, अमेरिका में ऐसे अन्य मामलों पर भी नजर रखी जा रही है।