अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। पहले चरण का 25% टैरिफ बीते गुरुवार से लागू हो चुका है, जबकि दूसरे चरण का 25% अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो जाएगा। टैरिफ के मसले पर भारत सरकार का रुख भी स्पष्ट नजर आ रहा है और वह अमेरिका के किसी भी दबाव को मानती नजर नहीं आ रही है।

इस बीच अमेरिका में भी डोनाल्ड ट्रंप की सनक के विरोध में सुर नजर आने लगे हैं। अमेरिकी संसद के एक सदस्य ने कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘टैरिफ वार’ ने अमेरिका-भारत साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए वर्षों से सावधानीपूर्वक किए गए काम को जोखिम में डाल दिया है।

प्रतिनिधि सभा के सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका के भारत के साथ “गहरे रणनीतिक और आर्थिक” तथा दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध हैं। मीक्स डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद हैं और वह ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी डेम्स’ के रैंकिंग सदस्य भी हैं।

उन्होंने X पर एक पोस्ट में कहा कि ट्रंप के ‘टैरिफ वार’ ने अमेरिका-भारत साझेदारी को प्रगाढ़ करने के लिए वर्षों से सावधानीपूर्वक किए गए काम को जोखिम में डाल दिया है। उन्होंने कहा, “चिंताओं का समाधान हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप परस्पर सम्मान के साथ किया जाना चाहिए।”

निक्की हेली को भी पसंंद नहीं आया ट्रंप का रवैया

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने भारत पर ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले को गलत करार दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत जैसे मजबूत सहयोगी पर टैरिफ और चीन को छूट दी जा रही है।

निक्की हेली ने X पर एक पोस्ट में लिखा, “भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए। लेकिन चीन, जो हमारा एक विरोधी है और रूसी व ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, उसे 90 दिनों के लिए टैरिफ में ढील दी गई है। चीन को छूट न दें और भारत जैसे मज़बूत सहयोगी के साथ अपने रिश्ते खराब न करें।”

सरकार की ‘चुप रहो, झुको मत’ नीति से अमेरिका बेचैन, टैरिफ पर डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के सामने भारत अड़ा