ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी ने चेतावनी दी है कि रूस दूसरे देशों की कोरोनावायरस वैक्सीन के लिए की गई रिसर्च को चोरी कर सकता है। ब्रिटिश नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर (NCSC) ने कहा है कि रूस की सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े हैकर्स अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में ऐसे अहम डेटा को निशाना बना सकते हैं, जो कोरोना वैक्सीन को विकसित करने के लिए अहम है। अभी तक यह साफ नहीं किया गया है कि रूस ने किन संस्थानों पर हैकिंग की कोशिश की है या अब तक क्या डेटा चोरी हुआ है। हालांकि, यह साफ कर दिया गया है कि हैकर्स ने वैक्सीन रिसर्च में डाका डालने की कोशिश की।

रूस की तरफ से इन आरोपों से साफ इनकार किया गया है। राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि हमारे पास इसकी कोई जानकारी नहीं कि ब्रिटेन में किसने दवा कंपनियों और रिसर्च फैसिलिटी में हैकिंग की कोशिश की। हालांकि, ब्रिटिश इंटेलिजेंस एजेंसी के एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन साइबर हमलों के पीछे कोजी बियर नाम के एक संगठन का हाथ है, जिसके रूस के रक्षा मंत्रालय क्रेमलिन के साथ रिश्तों की बातें सामने आती रही हैं। इस ग्रुप को एपीटी-29 नाम से भी जाना जाता है।

ब्रिटिश सुरक्षा एजेंसी ने कहा है कि यह 95 फीसदी पक्का है कि इसके पीछे रूसी इंटेलिजेंस एजेंसियों का हाथ है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कहा कि यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता कि रूस की कोई खुफिया एजेंसी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जुटे लोगों को निशाना बना रही है। जहां कुछ लोग महामारी के समय वैश्विक भावनाओं के उलट काम कर रहे हैं, वहीं ब्रिटेन अपने साथियों के साथ कोरोना वैक्सीन की खोज में जुटा है।

बता दें कि कोजी बियर संगठन के नाम का खुलासा पहली बार 2014 में हुआ था। इस ग्रुप पर अमेरिका के 2016 चुनाव के दौरान हैकिंग का आरोप लगता रहा है। 2017 में कोजी बियर संगठन ने ही नॉर्वे की लेबर पार्टी, रक्षा और विदेश मंत्रालय पर साइबर हमला किया था। ब्रिटिश सरकार ने हाल ही में आरोप लगाया है कि रूस की तरफ से ब्रिटेन के 2019 के चुनाव में भी दखलअंदाजी की कोशिश की गई।