भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) देशभर में लागू कर दिया है। हालांकि, अमेरिका को यह कानून रास नहीं आ रहा है। अमेरिका विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिकी सरकार सीएए को लेकर चिंतित है। वहीं, भारत ने अमेरिका को दो टूक शब्दों में कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 भारत का आंतरिक मामला है और इस पर अमेरिका का बयान गलत है।

भारत ने अमेरिका की समझ पर सवाल उठाए

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के इतिहास को लेकर अमेरिका की समझ पर सवाल उठाए हैं। सीएए पर अमेरिका के बयान को लेकर जयशंकर ने कहा कि यह टिप्पणी सीएए को समझे बिना की गई। कानून का मकसद भारत के विभाजन के दौरान पैदा हुई समस्याओं का हल निकालना है। विदेश मंत्री ने कहा, मैं अमेरिका के लोकतंत्र की खामियों या उसके उसूलों पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। मैं हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं। अगर आप दुनिया के कई हिस्सों से दिए जा रहे बयानों को सुनेंगे, तो ऐसा लगता है जैसे भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं। जैसे देश में कभी इसकी वजह से कोई ऐसी समस्या नहीं थी, जिसका सीएए ने हल दिया है।

अमेरिका कभी भी अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ेगा

भारत में मौजूद अमेरिकी राजदूत एरिक गासेर्टी ने कहा, अमेरिका कभी भी अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ेगा। धार्मिक आजादी और समानता लोकतंत्र की आधारशिला है। अमेरिका सीएए को लेकर चिंतित था और इसे लागू करने के तरीके पर नजर रखे हुए है। गासेर्टी के बयान पर जयशंकर ने कहा, आप एक समस्या ढूंढते हैं और उसके पीछे की वजह, उसके इतिहास को हटा देते हैं। फिर उस पर राजनीतिक तर्क दिया जाता है और इसे सिद्धांत बताया जाता है। हमारे पास भी सिद्धांत हैं। इनमें से एक है उन लोगों की तरफ हमारी जिम्मेदारी जिन्हें विभाजन के समय परेशानियां झेलनी पड़ी थीं। जयशंकर ने आगे कहा कि अगर आप मुझसे पूछें कि क्या दूसरे देश भी जाति या धर्म के आधार पर नागरिकता देते हैं, तो मैं आपको कई उदाहरण दे सकता हूं। अगर बहुत बड़े पैमाने पर कोई फैसला लिया जाता है, तो तुरंत उसके सभी परिणामों से निपटा नहीं जा सकता।

सीएए का मकसद नागरिकता देना

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सीएए नागरिकता देने के बारे में है, नागरिकता छीनने के बारे में नहीं। यह मानवीय गरिमा और मानवाधिकारों का समर्थन करता है। यह सबको साथ लेकर चलने की भारतीय परंपरा का प्रतीक है। दरअसल, इस कानून को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था कि इस कानून को कैसे लागू किया जाएगा, इस पर हमारी नजर रहेगी। धार्मिक स्वतंत्रता का आदर करना और कानून के तहत सभी समुदायों के साथ बराबरी से पेश आना लोकतांत्रिक सिद्धांत है।

पाकिस्तान ने भी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को भेदभावपूर्ण बताया। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि सीएए कानून का लागू होना भेदभावपूर्ण कदम है। यह कानून आस्था के आधार पर लोगों में भेदभाव पैदा करता है। उन्होंने कहा कि नागरिक संशोधन कानून इस धारणा पर आधारित है कि मुसलिम देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है और भारत अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित देश है।