म्यांमार में सेना और अलगाववादी संगठन आराकन सेना के बीच लंबे समय से जंग छिड़ी है। इस दौरान म्यांमारी सेना (तत्मादौ) पर कथित तौर पर आम लोगों के खिलाफ अपराध के कई आरोप लग चुके हैं। ताजा मामला कुछ किसानों के बच्चों को ढाल बनाकर इस्तेमाल करने से जुड़ा है। इस पर संयुक्त राष्ट्र ने बयान जारी कर म्यांमार सरकार पर लगे आरोपों की जांच की मांग की है।
क्या है मामला?: दरअसल 5 अक्टूबर को म्यांमार के बुथिदाउंग टाउनशिप में सेना और अलगाववादियों के बीच गोलीबारी में दो बच्चों की मौत हो गई थी। आरोप है कि यह बच्चे 15 स्थानीय किसानों के उस समूह का हिस्सा थे, जिसे म्यांमार की सेना अपने मिलिट्री कैंप की ओर जाते वक्त लैंडमाइन्स की पहचान करने और के लिए चारे के तौर पर इस्तेमाल कर रही थी, ताकि सैनिक खुद सुरक्षित रह सकें।
बताया गया है कि रास्ते में ही आराकान सेना ने तत्मादौ पर हमला कर दिया। इसी दौरान गोलीबारी की चपेट में आकर दो बच्चों की मौत हो गई। अब इसी पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था- कंट्री टास्कफोर्स ऑन मॉनिटरिंग एंड रिपोर्टिंग ऑन ग्रेव वॉयलेशन अगेंस्ट चिल्ड्रन ने घटना की पारदर्शी और गहन जांच की मांग की है। साथ ही आतंकियों के खिलाफ बच्चों के इस्तेमाल और उनकी मौत के लिए दोषी लोगों को जिम्मेदार ठहराने की मांग उठाई।
म्यांमार में हर साल बढ़ रहा संघर्ष में फंसे बच्चो की मौत का आंकड़ा: संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने म्यांमार में मरने और घायल होने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा होने पर भी चिंता व्यक्त की है। बता दें कि 2020 के पहले तीन महीने में ही म्यांमार में संघर्ष के दौरान 100 से ज्यादा बच्चों की जान जा चुकी है। यह 2019 में हुई बच्चों की कुल मौतों का आधे से ज्यादा आंकड़ा है, जबकि 2018 के कुल आंकड़े से कहीं ज्यादा है।
यूएन ने अपनी अपील में कहा, “म्यांमार के कोरोनावायरस महामारी से निपटने के दौरान हम संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से अपील करते हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि बच्चे लड़ाई के नियमों के उल्लंघनों से सुरक्षित रहें। साथ ही लोगों को मानवतावादी सहयोग और सेवाएं पहुंचाना सुनिश्चित रखा जाए और बसावट वाली जगहों पर शक्ति के इस्तेमाल पर ज्यादा से ज्यादा संयम बरता जाए।”