हैदराबाद के निजाम के खजाने पर इंग्लैंड एंड वेल्स हाईकोर्ट से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने हैदराबाद निजाम के इस भारी-भरकम खजाने पर पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि इन 306 अरब रुपये पर भारत का हक है।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि अदालत ने पाकिस्तान के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि यह पैसा आर्म्स शिपमेंट या एकमुश्त उपहार के रूप में दिया गया था। यह पैसा अभी लंदन के नेशनल वेस्टमिंस्टर बैंक में जमा है। यह पैसा साल 1948 में यूके में पाकिस्तान उच्चायुक्त के खाते में भेजा गया था।
दोनों देशों के बीच हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान सिद्दिकी से जुड़ा हुआ है। मामला 17 सितंबर 1948 से पहले हैदराबाद के भारत में विलय से संबंधित है। ऑपरेशन पोलो सैन्य अभियान के जरिये हैदराबाद रियासत का भारत में विलय कर दिया गया था।
इस दौरान नवाब मोईन नवाब जंग ने करीब 9 करोड़ रुपये ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त हबीब इब्राहिम रहीमतुल्ला के खाते में भेजे थे। यह रकम अब 301 करोड़ रुपये हो चुकी है। इससे पहले यह मामला ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में पहुंच गया था। कोर्ट ने इस खाते को फ्रीज कर दिया था। इसके बाद दुबारा यह मामला हाईकोर्ट में पहुंचा था।
इस रकम पर निजाम के 120 उत्तराधिकारी दावा पेश कर रहे हैं। निजाम के परिवार ने अपनी दलील में कोर्ट से कहा था कि यह रकम ऑपरेशन पोलो के दौरान सुरक्षित रखने के लिए भेजी गई थी। दूसरी तरफ पाकिस्तान का तर्क था कि हैदराबाद के भारत में विलय के दौरान पाकिस्तान की तरफ से निजाम की मदद के बदले यह रकम भेजी गई थी।
इससे पहले पाकिस्तान ने यह भी दलील थी कि उसने हैदराबाद में हथियारों की आपूर्ति की थी जिसकी एवज में उसे यह रकम दी गई थी। हालांकि पाकिस्तान की तरफ से अपनी इस दलील के संबंध में कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया जा सका। बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट में हार के बाद पाकिस्तान अब सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है।