संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए जमीन देने का फैसला किया है। यूएई की राजधानी में बनने वाला यह पहला मंदिर होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय यूएई यात्रा रविवार से शुरू हुई। इस ऐतिहासिक फैसले के लिए मोदी ने यूएई सरकार का शुक्रिया अदा किया। सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण यूएई की दो दिवसीय यात्रा पर प्रधानमंत्री रविवार को यहां पहुंचे। उनकी यात्रा के दौरान यूएई के साथ व्यापार और आतंकवाद विरोधी मुहिम जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा होगी।

दुबई में जहां दो मंदिर हैं, वहीं अबू धाबी में एक भी मंदिर नहीं है। दुबई में एक मंदिर शिव का है, जबकि दूसरा कृष्ण का है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘भारतीय समुदाय की लंबी प्रतिक्षा खत्म हुई। प्रधानमंत्री की यात्रा पर यूएई सरकार ने अबू धाबी में एक मंदिर बनाने के लिए जमीन आबंटित करने का फैसला किया।’ उन्होंने लिखा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक फैसले के लिए यूएई नेतृत्व का शुक्रिया अदा किया।’ यूएई में करीब 26 लाख भारतीय रहते हैं, जो इस देश की 30 फीसद आबादी के बराबर हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी यूएई यात्रा की शुरुआत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद शेख जायेद मस्जिद को देख कर की। शेख जायेद मस्जिद यूएई की प्रमुख इबादतगाह और इस्लामी वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। सऊदी अरब की मक्का और मदीना मस्जिदों के बाद यह दुनिया की सबसे विशाल मस्जिद है। प्रधानमंत्री के मस्जिद की यात्रा के समय को इस तरह से तय किया गया कि उस समय नमाज का वक्त न हो।

यूएई पहुंचकर अरबी में मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘खुशामदीद यूएई। मैं इस यात्रा को लेकर बहुत आशावान हूं। मुझे विश्वास है कि इस यात्रा के नतीजों से भारत और यूएई के संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।’ मोदी 34 साल बाद यूएई की यात्रा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। इंदिरा गांधी ने 1981 में यूएई की यात्रा की थी।

हवाई अड्डे पर अबू धाबी के शहजादे और उनके पांच भाइयों ने प्रोटोकाल से हटते हुए मोदी का स्वागत किया। इससे पहले इस साल मई में शहजादे ने मोरक्को के बादशाह का स्वागत किया था। मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नह्यान द्वारा मेरा हवाई अड्डे पर स्वागत किए जाने का तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूं।’

मोदी ने एक स्थानीय दैनिक को दिए अपने इंटरव्यू में शनिवार को यूएई के शीर्ष नेतृत्व से होने वाली अपनी वार्ता के एजंडे का स्पष्ट संकेत दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह चाहते हैं कि यूएई व्यापार और आतंकवाद के खिलाफ मुहिम में भारत का अग्रणी साझेदार बने। मोदी ने कहा कि क्षेत्र में उग्रवाद सहित सुरक्षा और सामरिक मामलों में दोनों देशों की साझा चिंताएं हैं।
अबू धाबी के शहजादे और यूएई के सशस्त्र बल के उपकमांडर के साथ चर्चा के अलावा प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को दुबई के प्रधानमंत्री और शासक मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम से बातचीत करेंगे।

अबू धाबी निवेश प्राधिकरण (एडीआइए) के महानिदेशक हामिद बिन जायेद अल नह्यान ने मोदी के सम्मान में रात्रि भोज का आयोजन किया। एडीआइए 800 अरब डालर का स्वतंत्र कोष है। भारत ढांचागत क्षेत्रों में इससे निवेश का आकांक्षी है। 1970 के दशक में भारत और यूएई के बीच कारोबार 18 करोड़ डालर था जो आज बढ़कर 60 अरब डालर हो चुका है। चीन और अमेरिका के बाद 2014-15 में यूएई, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

अपनी यात्रा के दौरान मोदी ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के अलावा भारत को एक आकर्षक व्यापारिक स्थल के रूप में निवेशकों के समक्ष पेश करेंगे। मोदी की इस यात्रा को भारत और यूएई के बीच व्यापार और सुरक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

मोदी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह चाहते हैं कि यूएई आतंकवाद विरोधी मुहिम में भारत का अग्रणी सहयोगी बने। यूएई की शानदार उपलब्धियों पर मोदी ने कहा कि यह खाड़ी देश मरूस्थल पर बना एक स्वर्ग है, जो अतुलनीय दृष्टि और कौशल का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मैं हमेशा सोचता था कि एक मरूस्थल में यह जन्नत कैसे बन सकती है? क्या दृष्टि है, क्या शानदार कौशल है।’