World News: केन्या में लापता हुए दो भारतीयों की मौत की खबर सामने आई है। राष्ट्रपति विलियम रुतो के एक सहयोगी के अनुसार, जुलाई में केन्या में लापता हुए दो भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों को राज्य पुलिस की स्पेशल सर्विस यूनिट ने मार डाला। बालाजी टेलीफिल्म्स के पूर्व सीओओ जुल्फिकार खान और एक अन्य भारतीय नागरिक मोहम्मद जैद सामी किदवई दो महीने से अधिक समय पहले नैरोबी से लापता हो गए थे। जुल्फिकार खान और किदवई दोनों राष्ट्रपति विलियम रुतो के चुनाव अभियान सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) टीम में शामिल होने के लिए केन्या में थे।

एसएसयू केन्या के डीसीआई के तहत काम करता है। इसका काम अपराधों की खुफिया जानकारी जुटाना होता है। हालांकि, एसएसयू को केन्या की हत्यारी पुलिस इकाई के नाम से भी जाना जाता है। रुटो के सहयोगी डेनिस इटुम्बी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, “राष्ट्रपति रुतो ने डीसीआई के स्पेशल सर्विस यूनिट को खत्म करने का आदेश दे दिया है। उन्होंने आगे कहा कि जुल्फिकार खान और मोहम्मद जैद सामी किदवई, दोनों ने विलियम रूटो के प्रेसिडेंशियल इलेक्शन कैम्पेन में बहुत हेल्प की थी। जुल्फिकार खान और मोहम्मद जैद सामी किदवई ने मोम्बासा, होमा बे, मारा, न्यामा, चोमा जॉइंट्स का दौरा भी किया था।

अपहरण किए गए थे दोनों भारतीय नागरिक

इससे पहले पुलिस अधिकारियों ने कहा कि लापता लोगों की तलाश के लिए अपहरण की जगह से सीसीटीवी फुटेज हासिल कर लिए गए हैं। जांच में मदद के लिए स्थानीय जासूसों के एक वर्ग को भी हिरासत में लिया गया था। हिरासत में लिए गए अधिकारियों को आदेश दिया गया था कि वे केन्याई मीडिया की एक नई टीम को लापता मामले पर अपने निष्कर्षों के साथ एक फाइल सौंपें। इटुम्बी ने पोस्ट में कहा, “सबूत उन्हें कैब में चढ़ते हुए दिखाते हैं, मिनटों बाद एक वाहन जिसका इस्तेमाल डीसीआई यूनिट ने किया था.

केन्या सरकार के संपर्क में विदेश मंत्रालय

बता दें कि पिछले हफ्ते भारत सरकार ने कहा था कि वह केन्या के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है और जुलाई में केन्या में दो नागरिकों के लापता होने के मुद्दे पर भी कड़ी नजर रख रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि जुल्फिकार अहमद खान और जैद सामी किदवई जुलाई के मध्य से केन्या में लापता हैं और सरकार इस घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखे हुए है। बागची ने कहा, “इसके तुरंत बाद वहां एक पुलिस शिकायत दर्ज की गई थी। इसके बाद केन्याई अदालत में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी।”