कश्मीर मामले पर UN में तुर्किए हमेशा पाकिस्तान का साथ देता रहा है लेकिन इस बार तुर्किए ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया है। इस बार कश्मीर मामले पर तुर्किए ने संयुक्त राष्ट्र में चुप्पी साध ली है। साल 2019 में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के बाद पहली बार तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN) में अपने भाषण में कश्मीर मुद्दे का उल्लेख नहीं किया है। यह ऐसे समय में आया है जब तुर्किए BRICS का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा है।
पिछले पांच सालों में एर्दोगान पाकिस्तान के अलावा एकमात्र राष्ट्र प्रमुख थे जिन्होंने यूएनजीए में कश्मीर का मुद्दा उठाया था। सितंबर 2019 में,एर्दोगान ने ‘कश्मीर विवाद’ के बारे में बात की थी और कहा था कि कश्मीर के लोगों के लिए अपने पाकिस्तानी और भारतीय पड़ोसियों के साथ मिलकर एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए, संघर्ष के बजाय न्याय और निष्पक्षता के आधार पर बातचीत के माध्यम से विवाद को हल किया जाना चाहिए।”
अपने 2020 के UNGA भाषण में उन्होंने कहा था, “कश्मीर की समस्या जो दक्षिण एशिया की शांति की, स्थिरता की चाभी भी है, उसका अभी भी समाधान नहीं हुआ है और कश्मीर के लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप तुर्किए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर एक समाधान के पक्ष में है।” वही, 2021 में यूएनजीए में बोलते हुए एर्दोगान ने कहा था कि तुर्किए पार्टियों के बीच बातचीत और प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के आधार पर 74 सालों से कश्मीर में चल रही समस्या को हल करने के पक्ष में अपना रुख रखता है।
एर्दोगान के भाषण में कश्मीर का जिक्र
2022 के भाषण में उन्होंने भारत का जिक्र किया था और कहा था कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि आजादी के 75 साल बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग अभी तक स्थापित नहीं हो सका है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लेख किए बिना उन्होंने कहा था, ”हमें उम्मीद है कि कश्मीर में न्यायसंगत और स्थायी शांति आएगी।”
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पिछले साल तुर्किए के राष्ट्रपति ने कहा था, “भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और सहयोग के माध्यम से कश्मीर में न्यायसंगत और स्थायी शांति” की स्थापना दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी और तुर्किए ऐसा करना जारी रखेगा। इस दिशा में उठाए जाने वाले कदमों का समर्थन करें।”
इस बार गाजा पर बोले एर्दोगान
वहीं, इस बार मंगलवार को यूएनजीए के 79वें सत्र को संबोधित करते हुए एर्दोगान ने कहा, “गाजा में न केवल बच्चे मर रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली भी मर रही है, सच्चाई मर रही है, पश्चिम जिन मूल्यों की रक्षा करने का दावा करता है वे मर रहे हैं, एक न्यायपूर्ण दुनिया में रहने की मानवता की उम्मीदें एक-एक करके मर रही हैं।”