Turkey Earthquake: तुर्की में 6 फरवरी को आए भूकंप के बाद से लापता एक भारतीय नागरिक को मलत्या में एक होटल के मलबे के नीचे मृत पाया गया है। तुर्की में भारतीय दूतावास ने शनिवार (11 फरवरी, 2023) को एक ट्वीट में इसकी जानकारी दी। मृतक की पहचान विजय कुमार के रूप में हुई है, जो उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले थे और बेंगलुरु की एक कंपनी में काम करते थे। वो एक आधिकारिक काम से तुर्की गए थे।

भारतीय दूतावास के मुताबिक विजय का चेहरा पहचानना मुश्किल था, क्योंकि उनका चेहरा पूरी तरह से कुचल गया था और उनके एक हाथ पर ‘ओम’ शब्द का टैटू था। विजय पीन्या इंडस्ट्रियल एस्टेट में बेंगलुरु स्थित ऑक्सीप्लांट्स इंडिया के साथ गैस पाइपलाइन इंस्टॉलेशन इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। वो 22 जनवरी को बेंगलुरु से तुर्की गए थे। तुर्की में भयंकर भूकंप के बाद से ही घरवालों का विजय से संपर्क नहीं हो पा रहा था।

बता दें कि तुर्की और सीरीया में भूकंप की वजह से अभी तक 25000 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर आ रही है। तुर्की और सीरिया में अभी भी कई इलाके ऐसे हैं जहां राहत और बचाव का कार्य जारी है। तुर्की में भारतीय दूतावास पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द उसके परिवार तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रहा है। अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर तुर्की में भारतीय दूतावास ने कहा, ‘हम दुख के साथ सूचित करते हैं कि 6 फरवरी के भूकंप के बाद से तुर्की में लापता हुए एक भारतीय नागरिक विजय कुमार का शव मलत्या में एक होटल के मलबे के बीच पाए गया है। जिसकी पहचान कर ली गई है।

एक अन्य ट्वीट में तुर्की में भारतीय दूतावास ने कहा, ‘उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है। हम पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द उनके परिवार तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रहे हैं।’ इससे पहले 8 फरवरी को विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा था कि भूकंप के बाद एक भारतीय लापता है और 10 अन्य फंसे हुए हैं, लेकिन दूरदराज के इलाकों में सुरक्षित हैं।

अधिकारियों के अनुसार, तुर्किए में रहने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 3,000 है, जिनमें से लगभग 1,800 इस्तांबुल और उसके आसपास रहते हैं, जबकि 250 अंकारा में और बाकी पूरे देश में फैले हुए हैं। जिस होटल में गौड़ रह रहे थे वह 6 फरवरी की सुबह ढह गया जब 7.8 तीव्रता का भूकंप तुर्कीये में आया।

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि अधिकारियों को भूकंप आने के बाद तेजी से काम करना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एर्दोगन ने शुक्रवार को तुर्की के आदियामान प्रांत का दौरा भी किया। वहां उन्होंने स्वीकार किया कि भूकंप आने के बाद राहत और बचाव कार्यों को जिस गति से चलाना चाहिए था सरकार की प्रतिक्रिया उतनी तेज नहीं थी। उन्होंने कहा कि हमारे पास अभी दुनिया में सबसे बड़ी राहत और बचाव टीम है, मगर यह एक वास्तविकता है कि राहत और बचाव कार्य उतने तेज नहीं हैं, जितने हम चाहते थे।

‘तुर्की-सीरिया में हजारों लोग बेघर, आठ लाख से ज्यादा लोगों को भोजन की जरूरत’

SMH की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिक ठंड होने की वजह हजारों लोग बेघर हो गए हैं और भोजन की कमी हो गई है, लेकिन तुर्की और सीरिया की सरकार को भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य पर सवालों का सामना करना पड़ा है। हालांकि भूकंप से प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य चलाने के लिए दुनिया के कई देश तुर्की और सीरिया की मदद के लिए आगे आए हैं। इन सब के बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि पूरे तुर्की और सीरिया में कम से कम आठ लाख से ज्यादा लोगों को भोजन की आवश्यकता है।