अमेरिका और भारत के बीच में टैरिफ की वजह से तनाव बढ़ता गया है। पिछले कुछ महीनों से दोनों ही देश एक ट्रेड डील संपन्न करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कुछ अनसलुझे विवादों की वजह से ऐसा हो नहीं पा रहा। इसके ऊपर भारत रूस से तेल लेना भी अमेरिका को रास नहीं आ रहा, खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे को कई मौकों पर उठाया।
मोदी-ट्रंप की बातचीत और बदले समीकरण
अब इसी वजह से दोनों देशों में तनाव ज्यादा रहा, लेकिन अब उसे कम करने की कोशिश भी होने लगी है। खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एक बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया, उन्होंने उन्हें एक महान नेता का तमगा भी दिया। अब ट्रंप ने तारीफ की तो भारत ने भी जवाब देने में देर नहीं की। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी पहली बार ट्रंप की एक तारीफ को तुरंत भुनाने की कोशिश की और जानकार मानने लगे कि भारत और अमेरिका के रिश्ते फिर पटरी पर लौट सकते हैं।
पीएम मोदी ने एक्स पर राष्ट्रपति ट्रंप के लिए लिखा कि मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भावनाओं, उनके सकारात्मक रुख का सम्मान करता हूं। भारत और अमेरिका की सकारात्मक और दूरदर्शी साझेदारी रही है। अब जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी का इस तरह का ट्वीट सामने आया एक तय रणनीति का हिस्सा है। लंबे समय से कोशिश हो रही थी कि भारत और अमेरिका के बीच में तनाव की इस बर्फ को कैसे पिघलाया जाए। मोदी और ट्रंप की इस सोशल मीडिया बातचीत ने दोनों ही देश के अधिकारियों को कुछ राहत दी है।
कैसे पटरी पर लौट रहे भारत-अमेरिका के रिश्ते?
दिल्ली में भी अधिकारी इस बात को समझ रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप ने सिर्फ पीएम मोदी की तारीफ नहीं की है, भारत को लेकर उनका स्टैंड अभी भी सख्त बना हुआ है। लेकिन फिर भी भारत ने अब एक जूआ खेलने का काम किया है, दोनों देशों से पहले अब दोनों नेताओं के बीच में रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश दिखी है। पीएम मोदी की तरफ से ट्रंप को जवाब इसलिए भी दिया गया है क्योंकि भारत को जो मैसेज अमेरिका तक पहुंचाना था, वो जा चुका है।
एससीओ समिट में मोदी-पुतिन-जिनपिंग की साथ वाली तस्वीर बताने के लिए काफी रही- भारत को अब कोई भी आइसोलेट नहीं कर सकता है और भारत के अपने भरोसेमंद साथी मौजदू हैं। एक सूत्र को भारत सरकार के टॉप अधिकारी ने बड़ी बात बताई है। कहा गया है कि भारत इस समय गांधी के सत्याग्रह मॉडल का पालन कर रहा है। इसमें आप हमे मार सकते हैं, लेकिन हम तुरंत जवाब देंगे, तो ऐसा नहीं होने वाला है। वॉशिंगटन को भी हमारा यही संदेश है।
एक्सपर्ट्स क्या बता रहे हैं?
वहीं अधिकारी अब इस बात पर भी एकमत हो रहे हैं कि अमेरिका और भारत के रिश्तों को फिर सामान्य करने का यह सही समय है। यहां तक कहा जा रहा है कि अब हस्तक्षेप सीधे टॉप अधिकारी, टॉप लीडर्स का होना चाहिए। वैसे कुछ जानकार मानते हैं कि भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच ट्रंप के सीजफायर दावों से भी बेहतर तरीके से निपटा जा सकता था।
यह नहीं भूलना चाहिए कारगिल युद्ध के दौरान भी अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान से बात जरूर की थी। सीजफायर नहीं करवाया था, वहां उसकी कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन मैसेजंर की एक भूमिका जरूर निभाई गई थी। इस बार भी अगर अमेरिका ने मैसेंजर की भूमिका निभाई थी, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत ऐसे में चाहता तो राष्ट्रपति ट्रंप को इसके लिए शुक्रिया कह सकता था। इससे ना उसकी खुद की संप्रभुता पर सवाल उठता, ना ट्रंप के सीजफायद दावों के हवा मिलती और अमेरिका-भारत के रिश्ते भी शायद पटरी से ना उतरते।
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