हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के बीच क्वाड देशों की बैठक को खासी अहमियत दी जा रही है। भारत, अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया और जापान- चार देशों के नवगठित संगठन का पहला शिखर सम्मेलन 12 मार्च को हुआ। कोरोना विषाणु संक्रमण के बीच वर्चुअल तरीके से आयोजित क्वाड की इस बैठक में चीनी विस्तारवादी नीति को लेकर स्पष्ट संदेश दिया गया।

बेजिंग ने इसे महसूस भी किया। चीन की बेचैनी इस बात से भी समझी जा सकती है कि बैठक शुरू होने से करीब आधा घंटे पहले ही उसने बयान जारी कहा कि दुनिया के देशों को किसी तरह का ‘एक्सक्लूसिव ब्लॉक’ नहीं बनाना चाहिए और न ही किसी तीसरे पक्ष के हितों पर निशाना साधना या उसे नुकसान पहुंचाना चाहिए। हालांकि, सम्मेलन में क्वाड नेताओं ने स्थिति स्पष्ट कर दी।

इन नेताओं ने एक-सुर में कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र रखने के लिए दुनिया के अन्य देशों को भी साथ जोड़ेंगे। करीब 24 अन्य देशों को एशियाई नॉटो कहे जाने वाले इस नवगठित गठबंधन से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।

भारत के संदर्भ में अहमियत

भारत के संदर्भ में इसकी खासी अहमियत मानी जा रही है। क्वाड की औपचारिक तौर पर स्थापना तो 2007 में ही हो गई थी, लेकिन अब तक इसने कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं की। 2017 में इसका पुनर्गठन किया गया। यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है, जब करीब एक साल से पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव के बीच भारत और चीन के रिश्तों में दरार बढ़ी है। साथ ही, अमेरिका, जापान और आॅस्ट्रेलिया के साथ भी व्यापार, सुरक्षा सहित कई अन्य मसलों को लेकर पिछले तीन-चार साल में उसके रिश्ते खट्टे हुए हैं।

क्वाड के पहले शिखर सम्मेलन के बाद हालांकि कोई औपचारिक घोषणापत्र जारी नहीं किया गया, लेकिन चारों देशों के नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है। कोरोना टीके के उत्पादन और वितरण के लिए संसाधन जुटाने पर भी सहमति बनी। लेकिन सैन्य और रक्षा सहयोग के मुद्दे पर क्वाड में बात नहीं होने से सवाल खड़े हुए। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की बात उठाकर चारों देशों ने चीन को यह संदेश देने की कोशिश की कि क्षेत्र में उसके दबदबे के स्वीकार नहीं किया जाएगा और उसे कोई भी कदम अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार उठाना होगा।

क्या हैं सवाल

भारत अभी फूंक-फूंककर कदम उठा रहा है। चीन से टकराव को लेकर अमेरिका या क्वॉड के अन्य सदस्य कितना साथ देंगे, इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलविन का बयान है कि मुख्य उद्देश्य चारों देशों में आपसी सहयोग को बढ़ाना है। हम इसके माध्यम से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में एक ऐसा क्षेत्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं जो स्वतंत्र, खुला, समावेशी, स्वस्थ और लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़ा हो।

यह क्षेत्र जोर-जबरदस्ती से प्रभावित न हो। इससे यह संकेत गया है कि क्वाड का स्वरूप अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया के आर्थिक, व्यापारिक हितों की तरफ अधिक जान पड़ रहा है। कोरोना टीके के अंतरराष्ट्रीय वितरण को लेकर जो भी बात कही गई, उसमें भारत को कूटनीतिक लाभ होता दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय संस्था-द ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सींस एंड इम्यूनाइजेशंस (गावी) के जरिए भारत ने पाकिस्तान को कोरोना के टीके भेजने शुरू किए हैं। संकेत हैं कि भारत ने अमेरिकी सलाह और खुद की जरूरत- इन दोनों आधार पर रिश्तों में सुधार की कवायद शुरू की है।

भारत-चीन समीकरण

दक्षिण चीन सागर को लेकर भारत की एक नीति रही है। भारत इस क्षेत्र में स्वतंत्र और बिना दखल के नौवहन तथा वायुक्षेत्र के इस्तेमाल का पक्षधर है। जबकि, चीन ने दक्षिण चीन सागर में दो दशक से लगातार अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाना जारी रखा है। चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। ग्वादर से पाक अधिकृत कश्मीर होते हुए चीन तक सिल्क रोड बन रहा है। वन रोड, वन बेल्ट पर काम कर रहा है।

दूसरी ओर, ईरान के चाबहार बंदरगाह तक अपनी पहुंच बनाने के लिए बेताब है। अफगानिस्तान में अपनी पहुंच चाहता है और मध्य एशिया तक अपने व्यापारिक रूट का रास्ता देख रहा है। दूसरी ओर, भारत इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर पा रहा है कि चीन 2013 से 2017 तक भारत का सबसे बड़ा कारोबार भागीदार रहा है। अब दूसरा सबसे बड़ा भागीदार है।

क्या कहते
हैं जानकार

क्वाड देशों का जोर व्यापार, स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर है। भारत, जापान और आॅस्ट्रेलिया इस पहल की कोशिश में जुटे हैं। आसियान देशों को इसमें शामिल करने की कोशिश हो रही है।
– फैसल अहमद, चीनी मामलों के विशेषज्ञ, फोरे स्कूल आॅफ मैनेजमेंट, दिल्ली</p>

क्वाड में सामरिक सहयोग पर बात होनी थी। चीन से सामरिक मोर्चे पर खड़ी चुनौतियां और आशंकाएं बिल्कुल कम नहीं हुई हैं। चीन की प्रवृत्ति और उसके रुख पर विश्वास नहीं करना चाहिए। चीन के मुकाबले भारत की सैन्य तैयारी कम है।
– मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अशोक मेहता, रक्षा विशेषज्ञ

क्या है क्वाड

यह चार देशों का एक समूह है, जिसमें भारत, अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। यहां गौर करने वाली बात है कि जो चार देश इस समूह में शामिल हैं, वे दुनिया की प्रमुख आर्थिक शक्तियां मानी जाती हैं। हालांकि इनके रक्षात्मक हितों में आपसी टकराव देखने को मिलता है, पर एक बात पर सब एक साथ नजर आते हैं- वह है चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व ने कई देशों के लिए चिंताएं पैदा की हैं।

ऐसे में क्वाड देशों के बीच आपसी सहयोग को खासा अहम माना जा रहा है। क्वॉड देशों ने इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शामिल सभी 24 देशों को शामिल करने की बात की है। शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद जारी बयान में भी समूचे हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला और सभी देशों के लिए समान अवसर वाला बनाने की बात कही गई है।