भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव कम करने की कोशिश दिख रही है। दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई महानिदेशक (डीजीएमओ) स्तरीय वार्ता बहाल की गई है। सिंघू जल आयोग की वार्ता भी दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और पाकिस्तान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ के बीच कई दौर की वार्ता के बाद बर्फ पिघलने के संकेत हैं। दोनों की एक दफा आमने-सामने की मुलाकात किसी तीसरे देश में हुई है।
दरअसल, अजित डोभाल के संदर्भ से विदेश मंत्रालय ने तनाव कम करने और डीजीएमओ स्तरीय वार्ता बहाल करने का एलान किया। अभी पाकिस्तानी एनएसए का ताजा बयान गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान को तनाव कम करना ही होगा। इससे पहले पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि अतीत को भूलकर भारत और पाकिस्तान आगे बढ़ना चाहिए। उनका कहना था कि दोनों देशों के बीच शांति से क्षेत्र में संपन्नता और खुशहाली आएगी। इतना ही नहीं भारत के लिए मध्य एशिया तक पहुंच आसान हो जाएगा।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूर्व और पश्चिम एशिया के बीच संपर्क सुचारू रूप से कायम कर दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता को खोलने के लिए भारत और पाक के बीच संबंधों का स्थिर होना जरूरी माना जा रहा है। इसके लिए सऊदी अरब आगे आया है। हाल में सऊदी अरब के उप-विदेश मंत्री आदेल अल-जुबैर ने स्वीकार किया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने की सऊदी अरब कोशिश कर रहा है।
अरब न्यूज को दिए इंटरव्यू में जुबैर ने कहा कि सऊदी अरब पूरे इलाके में शांति चाहता है और इसके लिए कई स्तरों पर कोशिश करता है। आदेल अल-जुबैर ने कहा कि हम इलाके में शांति और स्थिरता की लगातार कोशिश करते हैं, वो चाहे इजराइल और फलस्तीनियों के बीच शांति हो या फिर लेबनान, सीरिया, इराक, ईरान, अफगानिस्तान में। यहां तक कि हम भारत और पाकिस्तान के बीच भी तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
अतीत में सऊदी अरब के उप-विदेश मंत्री आदेल अल-जुबैर ने इसलामी देशों के सम्मेलन के दौरान तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात की थी। राजनयिक गलियारों में माना जा रहा है कि सऊदी अरब अपने ईरान विरोधी गठजोड़ में पाकिस्तान को अपने साथ रखना चाहता है। साथ ही साथ वह भारत को ईरान से दूर ले जाने की रणनीति पर भी काम कर रहा है।
ऐसे में सवाल उठने लगा है- क्या पाकिस्तान को समझ आने लगा है कि भारत से दोस्ती किए बगैर उसका आगे बढ़ पाना बेहद मुश्किल है? पाकिस्तान की माली हालत को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सरकार और सेना की तरफ से एक ही सुर में शांति वार्ता का राग अलापने की वजह आर्थिक भी है। शांति का पक्षधर भारत हमेशा से रहा है। भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, बैर और हिंसा मुक्त माहौल के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध की आकांक्षा करता है।
भारत ने यह भी दोहराया था कि इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है कि वह आतंकवाद और शत्रुता मुक्त माहौल तैयार करे। पाकिस्तान की ओर से तनाव कम करने और बातचीत शुरू करने की अपील पर भारत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया ही दी है, लेकिन उसके इस रुख में जरा भी बदलाव नहीं आया है कि पाकिस्तान पहले अपनी जमीन से आतंकवाद का खात्मा करे,उसके बाद ही वार्ता संभव है।