सरकार ने भारत-पाकिस्तान के बेहतर संबंधों को पूरे क्षेत्र की शांति के लिए महत्त्वपूर्ण बताया है। अपने हाल की पाकिस्तान यात्रा और बारत-पाक रिश्तों पर बयान देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को कहा कि पाक से दूरियों को पाटना जरूरी है। पड़ोसी देश के साथ फिर से शुरू हुई वार्ता भरोसे पर आधारित है। सरकार ने कहा कि समग्र द्विपक्षीय वार्ता निर्विघ्न चलती रहेगी और पाकिस्तान से अमन और विकास का नया अध्याय शुरू होगा।
सुषमा ने कहा कि बातचीत किसी तीसरे की मध्यस्थता में नहीं होनी है। तीसरी पार्टी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे। बातचीत दोनों देशों को ही करनी होगी। इसलिए दूरी को पाटना जरूरी है। उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव का असर दक्षेस संगठन पर पड़ने का उल्लेख करते हुए कहा कि उस तरीके से दक्षेस आगे नहीं बढ़ रहा है, जैसे दूसरे संगठन बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरू होने और फिर बंद होने संबंधी उहापोह की स्थिति की कुछ सदस्यों की आलोचना को अस्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि वार्ता को बंद करना और फिर शुरू करना कूटनीति का हिस्सा है। लेकिन गुपचुप कुछ नहीं हुआ है। पाकिस्तान के साथ मधुर संबंधों को दोनों देशों के हित में बताते हुए कहा कि वार्ता को निर्बाध रखने के लिए जरूरी है कि माहौल खराब करने वालों के बहकावे में न आया जाए। वार्ता से ही रास्ता निकलेगा।
विदेश मंत्री ने बयान के बाद सदस्यों द्वारा किए गए सवालों के जवाब में बताया कि उनकी पाकिस्तान यात्रा के दौरान धार्मिक पर्यटन को भी कारोबार, ट्रांजिट, तुलबुल परियोजना, सियाचिन और सरक्रीक के साथ वार्ता के महत्त्वपूर्ण स्तंभों में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि आतंकवाद पर वार्ता के स्तर को भी बढ़ाने का फैसला किया गया है। अब इस मुद्दे पर वार्ता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर पर ही होगी। सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच पेरिस पर्यावरण सम्मेलन के दौरान यह चर्चा हुई थी कि दोनों देशों के बीच दोबारा किस तरह बातचीत का माहौल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ एक नए शीर्षक समग्र द्विपक्षीय वार्ता के तहत बातचीत शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के विदेश सचिवों को इस नई वार्ता की रूपरेखा और सारणी तय करने का काम सौंपा गया है। बातचीत का सिलसिला शुरू करने पर उन्होंने कहा कि इसके पीछे यह भावना थी कि हम दोनों पड़ोसी देशों के बीच लगातार दूरी हमारे क्षेत्र में शांति स्थापित करने और इसे एक प्रगतिशील क्षेत्र के रूप में विकसित करने के हमारे साझा सपने के मार्ग में अड़चन है। सुषमा ने कहा कि यह भी बिल्कुल स्पष्ट था कि हमारे बीच संबंधों को विकसित करने के मार्ग में मुख्य बाधाओं, विशेषकर आतंकवाद से, प्रत्यक्ष और स्पष्ट रूप से निपटने की जरूरत है।
30 नवंबर को मोदी-शरीफ बैठक के परिणामस्वरूप छह दिसंबर को बैंकाक में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बातचीत हुई जो स्पष्ट, सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में हुई। यह चर्चा सुरक्षा, आतंकवाद, नियंत्रण रेखा पर अमन-चैन और जम्मू कश्मीर पर केंद्रित थी। जम्मू कश्मीर राज्य आतंकवाद और नियंत्रण रेखा के उल्लंघन से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि शरीफ और उनके पाकिस्तानी समकक्ष सरताज अजीज के साथ उनकी बैठकें इसी सकारात्मक प्रगति की पृष्ठभूमि में आयोजित की गईं। दोनों पक्षों ने आतंकवाद की भर्त्सना की और इसे खत्म करने के लिए आपसी सहयोग करने का संकल्प लिया।
भारत ने मुंबई आतंकी हमले से संबंधित न्यायिक कार्रवाई में पाकिस्तान द्वारा तेजी लाने की जरूरत पर बल दिया। पाकिस्तान ने इसको लेकर भारत को आश्वस्त किया। उन्होंने कहा, ‘मैं सदन को आश्वस्त करना चाहूंगी कि यह सरकार देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। इस संबंध में किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने के लिए सरकार कूटनीतिक प्रयोगों सहित वो सभी कदम उठाएगी जो जरूरी हों। हमारी सरकार पाकिस्तान सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण और सहयोगात्मक संबंधों के लिए वचनबद्ध है ताकि दक्षिण एशिया में शांति और विकास के लिए जो प्रयास इस सरकार ने अपना कार्यभार संभालने के समय शुरू किए थे, उन्हें आगे बढ़ाया जा सके। पाकिस्तान के साथ इस नवीन वार्ता के दो उद्देश्य हैं, चिंता के विषयों पर रचनात्मक बातचीत के जरिए समस्याओं का निराकरण करना और साथ ही सहयोगात्मक संबंधों को स्थापित करना और इस दिशा में नए मार्ग तलाशना।
विदेश मंत्री ने कहा कि व्यापार और संपर्क द्वारा, लोगों के बीच आपसी संपर्क द्वारा, और मानवीय पक्षों पर नई पहलों के द्वारा समूचे क्षेत्र का कल्याण हो सकता है। इससे आपसी समझ और विश्वास भी बढ़ सकता है। हम आशा करते हैं कि इस नवीन वार्ता से हमारे समूचे क्षेत्र में शांति और विकास का नया अध्याय शुरू होगा। उन्होंने कहा कि वो अफगानिस्तान से संबंधित हार्ट आफ एशिया सम्मेलन में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व करने के लिए पाकिस्तान गई थीं। सम्मेलन अफगानिस्तान में स्थिरता और विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता और उसके भविष्य के प्रति हमारी आस्था को पुन: दोहराने के लिए एक महत्त्वपूर्ण मंच बना।
सुषमा ने कहा कि मई 2014 में भारत में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को अन्य दक्षेस देशों के नेताओं के साथ आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा कि यह निमंत्रण पाकिस्तान के साथ अच्छे पड़ोसी संबंध रखने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का परिचायक था। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की जुलाई में उफा में मुलाकात हुई। इसमें वे इस बात पर सहमत हुए कि शांति सुनिश्चित करने और विकास को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी दोनों देशों की है। दोनों ने यह भी इंगित किया कि दोनों देश सभी बकाया मुद्दों पर चर्चा को तैयार हैं। उफा सम्मेलन में शरीफ ने हमारे प्रधानमंत्री को 2016 में होने वाले दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद आने का आमंत्रण दिया था।
विदेश मंत्री ने लोकसभा में बताया कि पाकिस्तान के साथ बहुत अच्छे माहौल में बात हुई। भारत-पाकिस्तान के बीच संबंध अच्छे होते हैं, तो पूरे क्षेत्र में शांति स्थापित होगी। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता बहाल होने का स्वागत करने के लिए सदन में विभिन्न राजनीतिक दलों का आभार जताया। लोकसभा में आमतौर पर मंत्री के जवाब के बाद स्पष्टीकरण का नियम नहीं है लेकिन सुषमा ने कहा कि यदि आसन अनुमति दे तो वह सदस्यों के सवालों के जवाब देने को भी तैयार हैं। आसन की अनुमति से तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, माकपा के मोहम्मद सलीम, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती, बीजद के भृतुहरि मेहताब, तेलुगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला और आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तहादुल मुसलमीन के असदुद्दीन औवेसी ने कई सवाल किए।
