अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी 7 दिन के भारत दौरे पर पहुंच चुके हैं। यह पहली बार है जब तालिबान सरकार का कोई मंत्री भारत आया है। इस दौरे के मायने ज्यादा इसलिए हैं क्योंकि भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को अपनी मान्यता नहीं दी है। इसके ऊपर एक समस्या यह भी है जब दिल्ली में तालिबानी विदेश मंत्री और भारत सरकार के मंत्री की मुलाकात होगी, तब क्या अफगानिस्तान का झंडा वहां लगेगा या नहीं?

तालिबान मंत्री भारत में, कैसी चर्चा?

यह सवाल भी इसलिए उठ रहा है क्योंकि अभी तक ताबिलान शासन को भारत सरकार ने अपनी मान्यता नहीं दी है, ऐसे में किस अधिकार से उस मुल्क के ध्वज को किसी औपचारिक मीटिंग के दौरान जगह दी जाए? अभी के लिए अधिकारी तालमेल बैठाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं और बीच का रास्ता निकालने पर मंथन है। वैसे मुत्ताकी का भारत आना भी काफी मुश्किल था क्योंकि सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से पहले उन्हें इजाजत ही नहीं मिली थी।

मुत्ताकी का भारत आना मुश्किल क्यों था?

असल में UNSC रिजोल्यूशन 1988 (2011) के तहत उनकी यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा हुआ है, अगर उन्हें किसी विदेशी देश के दौरे पर जाना भी हो तो पहले इजाजत लेनी पड़ती है। पिछले महीने उन्हें भारत आने की अनुमति नहीं मिली थी, लेकिन फिर 9 से 16 अक्टूबर तक के लिए उनकी यात्रा को हरी झंडी दिखाई गई। अब इस बैठक के मायने इसलिए बढ़ जाते हैं कयोंकि जब कुछ समय पहले ही भारत ने मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशन में शिरकत की थी, वहां पाकिस्तान, चीन, रूस और तालिबान भी शामिल थे।

क्या जयशंकर से मिलेंगे मुत्ताकी?

मुत्ताकी के भारत दौरे को लेकर कहा जा रहा है कि उनकी मुलाकात विदेश मंत्री एस जयशंकर से हो सकती है। लेकिन उस मुलाकात के दौरान सिर्फ इस बात को लेकर विवाद है कि क्या अफगानिस्तान के झंडे को जगह दी जाए या नहीं। इससे पहले भी भारत के अधिकारियों की तालिबानी मंत्रियों के साथ मुलाकात हुई है, लेकिन तब किसी भी देश के राष्ट्रीय ध्वज को वहां जगह नहीं दी गई। लेकिन इस बार क्योंकि बैठक राजधानी दिल्ली में होनी है, ऐसे में इस मुद्दे की चर्चा ज्यादा हो रही है।

ताजमहल के दीदार करेंगे तालिबानी मंत्री

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानी विदेश मंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मिल सकते हैं। आतंकवाद, मानवीय सहायता, अफगान छात्रों को वीजा जैसे मुद्दों पर भी चर्चा संभव है। इसके अलावा अफगानिस्तान भारत में अपनी राजनयिक मौजूदगी को कैसे मजबूत करे, इस पर भी मंथन किया जाना है। इन मुलाकातों के अलावा मुत्ताकी इस दौरान ताजमहल के दीदार भी करने जा रहे हैं।

पाकिस्तान क्यों हो गया है बेचैन?

अब एक तरफ अफगानिस्तान भारत से अपनी नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, पाकिस्तान और चीन इससे बेचैन भी नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान तो अफगानिस्तान को अपना नजदीकी पड़ोसी मानता है, मजहब का वास्ता देकर दोनों की मजबूत दोस्ती की कवायद भी करता है। लेकिन खुद तालिबान अब पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रहना चाहता, वो अपनी आर्थिक और विकास की दूसरी जरूरतों के लिए भारत से मदद चाहता है, ऐसे में पाकिस्तान का प्रभाव कम हो सकता है।

चीन की क्यों बढ़ी है टेंशन?

चीन की बात करें तो वो जानना चाहता है कि बगराम एयरबेस को लेकर भारत का रुख क्या रहने वाला है, क्या अमेरिकी उपस्थिति का विरोध करता है या नहीं। इसके अलावा चीन को अपने बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट्स की भी चिंता सता रही है, भारत से तालिबान की बढ़ती नजदीकी को एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।