Sri Lankan President: श्रीलंका के नवनियुक्त राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने मुल्क की भविष्य की विदेश नीतियों का संकेत दे दिया है। भारत और चीन को लेकर राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा है कि वह श्रीलंका को भारत और चीन के बीच “सैंडविच” नहीं बनने देना चाहते हैं। खास बात यह है कि पिछले लंबे वक्त से श्रीलंका ने एशिया के दो सबसे बड़े देशों यानी भारत और चीन के बीच बैलेंस बनाने की कोशिश की है, और ये दोनों ही भू-राजनीतिक प्रभाव के लिए लीडिंग कर्जदाता और निवेशक के तौर पर जाने जाते हैं।

भारत और चीन को लेकर दिसानायके का बयान उनके पुराने इंटरव्यू का संकेत लगता है, क्योंकि वैश्विक मामलों और लाइफस्टाइल से जुड़ी एक मैग्जी के ‘द मोनोकल’ को सितंबर में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी विदेश नीति के बारे में बात की थी। अब उन्होंने कहा है कि वे दोनों देशों को ही एक अहम भागीदार के तौर पर देखते हैं।

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दोनों का साझेदार बनने की कही थी बात

अपने एक पुराने इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि एक बहुध्रुवीय व्यवस्था में कई पावर ग्रुप होते हैं, लेकिन हम उस भू-राजनीतिक लड़ाई का हिस्सा नहीं होंगे, न ही हम किसी पार्टी के साथ गठबंधन करेंगे। हम भी नहीं चाहते कि हम बीच में फंस जाएं, खासकर चीन और भारत के बीच। दोनों ही मूल्यवान मित्र हैं और हम उम्मीद करते हैं कि वे और करीबी साझेदार बनेंगे।

भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?

दिलचस्प बात यह है कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति दिसानायके भारत, चीन और जापान तीनों के ही साथ काम करने की मंशा जारी कर चुके हैं, जो देश के 12.5 बिलियन डॉलर के ऋण पुनर्गठन में प्रमुख पक्ष हैं, ताकि बेहतर विकास के लिए आर्थिक संबंधों को बढ़ावा दिया जा सके। नई दिल्ली में चिंता की खबरें हैं क्योंकि 55 वर्षीय मार्क्सवादी-झुकाव वाले राजनेता को चीन के करीब माना जाता है और वह क्षेत्र में भू-राजनीति को बदलने में अहम हो सकते हैं।

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भारत और चीन दोनों ने दी थी बधाई

गौरतलब है कि भारत और चीन दोनों ने दिसानायके को चुनाव में जीत के बाद बधाई दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि श्रीलंका भारत की पड़ोसी प्रथम नीति और विजन सागर में विशेष स्थान रखता है। वे अपने लोगों और पूरे क्षेत्र के लाभ के लिए हमारे बहुआयामी सहयोग को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं।

पीएम मोदी के पोस्ट के जवाब में श्रीलंका प्रेसिडेंट दिसानायके ने कहा था कि मैं हमारे देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की आपकी प्रतिबद्धता से सहमत हूं। हम साथ मिलकर अपने लोगों और पूरे क्षेत्र के लाभ के लिए सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर सकते हैं।

इन सबके बीच भारत और चीन को लेकर दिया गया बयान संकेत दे रहा है कि वे दोनों मुल्कों के साथ रिश्तों को लेकर कुछ बड़े कदम उठा सकते हैं।