भारत की ओर से कड़ा ऐतराज जताने के बाद श्रीलंका ने फिलहाल पाकिस्‍तान से जेएफ-17 थंडर विमान खरीदने की योजना टाल दी है। द इंडियन एक्‍सप्रेस को जानकारी मिली है कि भारत ने कुछ हफ्ते पहले श्रीलंका पर राजनयिक चैनलों से दबाव बनाया और बताया कि उसे आखिर क्‍यों यह फाइटर प्‍लेन नहीं खरीदना चाहिए। भारत ने न केवल इस प्‍लेन के नकारात्‍मक पहलुओं के बारे में जानकारी दी, बल्‍कि यह भी कहा कि सैन्‍य जरूरतों के हिसाब से श्रीलंका को इस तरह के फाइटर प्‍लेन्‍स की जरूरत नहीं है। भारत ने श्रीलंका को बताया कि जेएफ-17 के रशियन इंजन बेस्‍ट नहीं हैं। जहां तक चीन की बात है तो वह खुद भी इसका प्रयोग नहीं करता है। भारत को डर था कि अगर यह डील हुई तो चीन या पाकिस्‍तान को श्रीलंका में मेंटनेंस और ट्रेनिंग के लिए जमने का मौका मिल जाता। इससे, श्रीलंका की चीनी या पाकिस्‍तानी फौज से और ज्‍यादा नजदीकी बढ़ जाती।

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पीएम नवाज शरीफ की तीन दिवसीय श्रीलंका दौरे के मद्देनजर पाकिस्‍तानी मीडिया में यह खबर थी कि दोनों देशों के बीच जेएफ 17 लड़ाकू विमानों को लेकर करार होने वाला है। श्रीलंका और पाकिस्‍तान के बीच कथित तौर पर 400 मिलियन डॉलर में यह डील होनी थी। खुद आर्थिक बदहाली से जूझते पाकिस्‍तान इस एयरक्राफ्ट के लिए श्रीलंका को लाइन ऑफ क्रेडिट जारी रखने के लिए कथित तौर पर तैयार था। मंगलवार को शरीफ और श्रीलंका के राष्‍ट्रपति एम सीरीसेना ने कुछ समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए, लेकिन इनमें एयरक्राफ्ट की खरीद-फरोख्‍त की डील शामिल नहीं है।

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क्‍या समझाया भारत ने?

तीन हफ्ते पहले भारत सरकार की ओर से कुछ ऑफ रिकॉर्ड संदेश बिना लेटरहेड या सिग्‍नेचर वाले सफेद कागज पर श्रीलंका के टॉप अधिकारियों तक पहुंचाए गए। इससे पहले, रिपोर्ट आई थी कि पाकिस्‍तान चीन की मदद से बन रहे जेएफ 17 को श्रीलंका के एयरफोर्स को देने के लिए गंभीर है। अगर ऐसा होता तो जेएफ 17 श्रीलंका के पुराने पड़ चुके इजराइली केफिर्स या मिग 27 विमानों की जगह लेता। पाकिस्‍तान श्रीलंका को 10 से 12 प्‍लेन बेचना चाहता था। हर प्‍लेन की कीमत करीब 35 मिलियन डॉलर थी। भारत ने श्रीलंका को समझाया कि उग्रवादी संगठन लिट्टे के खिलाफ जंग खत्‍म हुए कई साल हो चुके हैं और उसकी सेना को इस तरह के एयरक्राफ्ट की जरूरत नहीं है। श्रीलंकाई सूत्रों के मुताबिक, भारत ने यह भी समझाया कि जेएफ 17 में लगे रशियन इंजन बहुत अच्‍छे नहीं हैं और यहां तक चीन भी खुद इन प्‍लेन्‍स का इस्‍तेमाल नहीं करता। यह भी खबरें आईं कि भारत ने श्रीलंका को अपना तेजस विमान देने की पेशकश की थी। हालांकि, जंग के खत्‍म होने के बाद से श्रीलंका ने रक्षा क्षेत्र में अपना बजट लगातार बढ़ाया है। सिर्फ 2016 में ही श्रीलंका करीब 3 बिलियन डॉलर खर्च करेगा।

श्रीलंकाई टीम गई थी पाकिस्‍तान

डील को लेकर चर्चाएं उस वक्‍त तेज हो गईं, जब‍ पिछले साल सितंबर में श्रीलंकाई एयरफोर्स के चीफ गगन बुलथसिनहाला पाकिस्‍तान गए। उन्‍हें यह सहूलियत दी गई कि वे अपनी टीम पाकिस्‍तान के कामरा स्‍थ‍ित पाकिस्‍तान एरोनॉटिकल कॉम्‍प्‍लेक्‍स (PAC) भेजें और प्‍लेन को अच्‍छे से जांचें। कामरा वो जगह है, जहां PAC और चीन की चेंगडू एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन इस प्‍लेन का प्रोडक्‍शन करती है। हालांकि, जानकार मानते हैं कि इन प्‍लेन्‍स को चीनी किट्स की मदद से कामरा में सिर्फ असेंबल भर किया जाता है। पाक के न्‍योते पर श्रीलंकाई टीम ने कामरा जाकर एयरक्राफ्ट का टेस्‍ट भी किया था।