गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में आंदोलन जारी है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़ने बाद पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और पूर्व वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे के श्रीलंका से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल श्रीलंका के मुताबिक, 28 जुलाई तक दोनों नेता बिना अनुमति के देश से बाहर नहीं जा सकते हैं। इसके अलावा, सेंट्रल बैंक के दो पूर्व गवर्नरों को भी देश से बाहर जाने की इजाजत नहीं है।

इस बीच, पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के बाद अब सात दिनों के अंदर देश का नया राष्ट्रपति चुना जाना है। शनिवार को संसद की बैठक होगी और संविधान के प्रावधानों के अनुसार सात दिनों के भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव किया जाएगा। श्रीलंका से पहले भी कई देशों में ऐसी स्थिति देखने के मिली है, जब राष्ट्रपति रातोंरात देश छोड़कर भाग गए थे। आइए जानते हैं कौन से हैं वो देश-

अशरफ गनी, अफगानिस्तान
पिछले साल अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने देश पर कब्जा जमा लिया था। इस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी रातोंरात अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भाग गए थे। गनी एक प्राइवेट जेट से काबुल एयरपोर्ट पहुंचे। इस हेलीकॉप्टर में उन्होंने काफी कैश रखा हुआ था। उनके पास इतना ज्यादा कैश था कि जब वो हवाई जहाज में बैठे थे तो उन्हें काफी पैसा रनवे पर ही छोड़ना पड़ा था। वर्तमान में वह संयुक्त अरब अमीरात में हैं।

परवेज मुशर्रफ, पाकिस्तान<br>पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाए जाने के बाद देश छोड़ दिया था। 1999 में एक तख्तापलट में निर्वाचित नवाज शरीफ सरकार को गिराने के बाद मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। वो अगस्त, 2008 तक इस पद पर रहे। इस दौरान, उन्होंने कई फैसले लिए,जो विनाशकारी साबित हुए। इनमें मुख्य न्यायाधीश का निलंबन और लाल मस्जिद की घेराबंदी शामिल है।

जर्मनी, एरिक होनेकर
एरिक होनेकर 1971 से पूर्वी जर्मनी के कम्युनिस्ट नेता थे। होनेकर ने पूर्वी जर्मनी पर शासन किया। वह सोवियत संघ के प्रति अपनी वफादारी में अडिग थे और एक एकीकृत जर्मनी के विचार का कड़ा विरोध करते थे। होनेकर के शासन के दौरान पश्चिम बर्लिन में दीवार पार करने की कोशिश करते समय अनुमानित 125 पूर्वी जर्मन मारे गए थे। पूर्वी यूरोप में व्यापक लोकतांत्रिक सुधारों के मद्देनजर 1989 में एरिक को सत्ता से हटा दिया गया था। शीत युद्ध के दौर में कई अपराधों में अपने ऊपर मुकदमा चलने से बचने के लिए वह अपनी पत्नी के साथ मास्को भाग गए। हालांकि, 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद उन्हें वापस जर्मनी भेज दिया गया। बर्लिन पहुंचने पर उन्हें हिरासत में लिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया।

निकोले सेउसेस्कु, रोमानिया
निकोले सेउसेस्कु की सरकार को पूर्वी यूरोप में सबसे अधिक दमनकारी माना जाता था। उनकी गुप्त पुलिस पर बड़े पैमाने पर निगरानी, ​​​​गंभीर दमन और मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया था। दिसंबर 1989 में देश में उनके खिलाफ विरोध की लहरें तेज हुईं और अधिकांश सेना भी इस क्रांति में शामिल हो गई। उसक वक्त लोगों के दिलों में सेउसेस्कु के खिलाफ इतना गुस्सा था कि उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करने की कोशिश की, लेकिन लोगों नें उन पर पत्थर फेंके तब उन्हें एक इमारत में शरण लेनी पड़ी। तब वो किसी तरह इमारत की छत पर पहुंचे और वहीं से अपनी पत्नी के साथ हेलीकॉप्टर में देश छोड़कर भाग गए थे। लेकिन सेना ने रोमानियाई हवाई क्षेत्र को बंद कर उनके हेलीकॉप्टर को उतरने का आदेश दिया। सेउसेस्कु और उसकी पत्नी को पुलिस ने पकड़ लिया और सेना के हवाले कर दिया।

फर्डिनेंड मार्कोस, फिलीपींस
फर्डिनेंड मार्कोस ने 1966 से 1986 तक फिलीपींस के राज्य के प्रमुख के रूप में कार्य किया। अपने शासन के दौरान उन्हें भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के दमन के लिए आलोचना का सामने करना पड़ा। मार्कोस को फिलीपींस के इतिहास में एक क्रूर शासक के रूप में जाना जाता है। 1972 में उन्होंने मार्शल लॉ लागू कर दिया और 1986 तक सत्ता से बेदखल होने तक क्रूर तानाशाह के रूप में सरकार चलाई। उनके शासनकाल में पुलिस हिरासत में 3257 हत्याएं, 35,000 से ज्यादा लोगों को टॉर्चर किया गया और 70 हजार लोगों को कैद कर लिया गया। फरवरी 1986 के अंत में मार्कोस और उनका परिवार अमेरिकी वायु सेना के विमान से गुआम और हवई चला गया था।

इवो ​​मोरालेस, बोलीविया
इवो ​​मोरालेस ने 2006-19 तक बोलीविया के स्वदेशी मूल के पहले राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। उन्हें आर्थिक और सामाजिक सुधारों की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें 2019 के चुनावों में एक अस्पष्ट जनादेश के बाद पद छोड़ना पड़ा। उनके खिलाफ बोलीविया में कथित देशद्रोह और आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। मेक्सिको द्वारा शरण की पेशकश के बाद मैक्सिकन सरकारी विमान उन्हें बोलीविया से बाहर ले गया। कुछ दिनों बाद अर्जेंटीना द्वारा उन्हें शरण भी दी गई और वो उस देश में चले गए।