चीन अपने रिसर्च शिप को श्रीलंका भेजने की जद्दोजहद में लगा है। चीन ने इसके लिए श्रीलंका सरकार को आवेदन दिया है। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता प्रियंगा विक्रमसिंघे ने कहा कि चीनी दूतावास ने उनके पास एक अर्जी दी है। मंत्रालय फिलहाल इस पर गौर कर रहा है।
विक्रमसिंघे ने कहा कि पोत की यह यात्रा कब होगी, अभी यह तारीख तय नहीं है। चीनी पोत शी यान6 के समुद्री अनुसंधान गतिविधियों के लिए यहां अक्टूबर में पहुंचने की संभावना है। इसे अनुसंधान-सर्वेक्षण पोत बताया जा रहा है। इसकी क्षमता 1115 डीडब्ल्यूटी है।
माना जा रहा है कि यह पोत राष्ट्रीय जलीय संसाधन अनुसंधान व विकास एजेंसी के साथ मिलकर अनुसंधान करेगा। चीन नियमित तौर पर अपने पोत श्रीलंका भेजता रहता है। दो सप्ताह पहले चीनी सेना का युद्धक पोत ‘हाई यांग 24 हाओ’ दो दिन की यात्रा पर देश पहुंचा था। कहा जा रहा है कि भारत की ओर से चिंताएं जताए जाने के कारण 129 मीटर लंबे पोत के आगमन में देरी हुई।
श्रीलंका सरकार नहीं चाहती भारत को नाराज करना
अगस्त 2022 में चीनी बैलेस्टिक मिसाइल एवं उपग्रह ट्रैकिंग पोत ‘युवान वांग 5’ हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचा था, जिस पर भारत ने गंभीर आपत्ति जताई थी। भारत को आशंका थी कि श्रीलंकाई बंदरगाह जाने के रास्ते में पोत की ट्रैकिंग प्रणाली भारत के डिफेंस सिस्टम के बारे में पता लगाने की कोशिश कर सकती है। भारत इसी वजह से चीनी रिसर्च शिप के श्रीलंका में आने का विरोध कर रहा है। उसने श्रीलंका सरकार को अपनी चिंताओं से कई बार अवगत कराया है।
गौरतलब है कि राजनीतिक उठापटक के बाद श्रीलंका फिर से ढर्रे पर लौटने की कोशिश में है। श्रीलंका सरकार नहीं चाहती कि उसका भारत जैसे ताकतवर पड़ोसी से कोई विवाद हो। सूत्रों का कहना है कि इसी वजह से श्रीलंका सरकार असमंजस की स्थिति में है। भारत ने चीन के रिसर्च शिप के श्रीलंका के पोर्ट पर लैंड करने को लेकर पहले भी एतराज जताया था। उसके बाद से ही श्रीलंका सरकार एहतियात बरत रही है।