पेरिस में टैक्सी में बैठे यात्री के बारे में यह पता लगते ही कि वह भारतीय है , स्थानीय कैब ड्राइवर संगीत की समझ बढ़ाने के अंदाज में आ जाता है। वह टूटी – फूटी अंग्रेजी में पूछता है ” उर्वशी क्या है ” , तुरंत ही वह गाने लगता है ” टेक इट इजी उर्वशी ”। वह गीत से परिचित है , उसके बोल और धुन भी पता है , लेकिन संगीतकार के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है। जब उसे ये बताया जाता है कि ए आर रहमान ने इसे बनाया है तो वह जोर से सिर हिलाता है। हालांकि वह संगीतकार के विश्वप्रसिद्ध गीत ” जय हो ” (फिल्म स्लमडॉग मिलिनेयर) से भी परिचित हैं। एक ऐसा शहर जहां हर तीसरा व्यक्ति एक पर्यटक है वहां ऐसे कैब ड्राइवर के साथ बात करना जो भारतीय से भारतीयों के प्रभाव के बारे में जानना चाहता है , बेहद अनोखा है। उसका अपना आंकलन है कि भारतीय मुस्कुराते बहुत हैं। कैब में सवार भारतीय यात्री फ्रैंच नहीं जानता और ड्राइवर खुद अंग्रेजी में दक्ष नहीं है , इसके बावजूद संवाद में बाधा नहीं आती।
कैब ड्राइवर बताता है कि उसका एक भारतीय मित्र है , जिसने उसे समोसे और चिकन करी से परिचित कराया। भाषा बाधा बनती है , लेकिन तकनीक संवाद में मददगार बनती है। वह अपने फोन पर फ्रैंच में बात करता है। कैब ड्राइवर बताता है कि मैं अपने एक भारतीय मित्र की शादी में गया था , जहां मैने बेहद खाया। खाना बेहद शानदार था। उसकी इन बातों का फोन अनुवाद करता है।
जब उससे पूछा गया कि पेरिस में तो बहुत सारे भारतीय रहते हैं , वह ना में जवाब देता है। उसके अनुसार भारतीय पेरिस के मुकाबले लंदन को तरजीह देते हैं। यहां पाकिस्तानी अधिक है। वह अपने शहर की मंद गति के लिए प्रशंसा करता है , साथ ही जोड़ता है कि इंग्लैंड के बारे में यह नहीं कहा जा सकता। इसी के साथ भारत यात्रा के वादे के साथ सफर खत्म होता है। लेकिन दोनों ही ओर से न तो नाम और न ही फोन नंबर बताए जाते हैं।