Bangladesh Commission: बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार द्वार गठित जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर बड़ा खुलासा किया है। जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसे लोगों को कथित रूप से गायब किए जाने की घटनाओं में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की संलिप्तता का पता चला है। लोगों के लापता होने की घटनाओं की जांच के लिए गठित आयोग ने अनुमान लगाया है कि ऐसे मामलों की संख्या 3500 से ज्यादा है।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के मुख्य सलाहकार के कार्यालय की प्रेस शाका ने शनिवार रात एक बयान में कहा कि आयोग को इस बात के साथ मिले हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के निर्देश पर लोगों को गायब किया गया है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री के रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र के पूर्व महानिदेशक और बर्खास्त मेजर जनरल जियाउल अहसन, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोनिरुल इस्लाम एवं मोहम्मद हारुन ओर रशीद और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इन घटनाओं में शामिल पाए गए।
आर्मी और पुलिस के यह सभी पूर्व अधिकारी फरार हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वे छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद 5 अगस्त को हसीना की अवामी लीग सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद देश से निकल गए थे।
लोगों को गायब किए जाने की घटनाओं की जांच करने वाले पांच सदस्यीय आयोग ने शनिवार देर रात मुख्य सलाहकार को उनके आधिकारिक आवास यमुना पर ‘सत्य का खुलासा’ शीर्षक से अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी। जिसके बाद यह बयान जारी किया गया।
बयान के अनुसार, आयोग के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी ने यूनुस को बताया कि जांच के दौरान उन्हें एक व्यवस्थित तरीके की जानकारी मिली। जिसके कारण इन घटनाओं का पता नहीं चल सका। चौधरी ने कहा कि लोगों को गायब करने या न्यायेतर हत्या करने वाले व्यक्तियों को भी पीड़ितों की जानकारी नहीं होती थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस की विशिष्ट अपराध विरोधी ‘रैपिड एक्शन बटालियन’ (RAB) और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी ने लोगों को जबरन ले जाने, उन्हें प्रताड़ित करने और हिरासत में रखने की घटनाओं को अंजाम देने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया। RAB में सेना, नौसेना, वायु सेना और पुलिस के लोग शामिल होते हैं।
आयोग ने आतंकवाद रोधी अधिनियम, 2009 को खत्म करने या उसमें व्यापक संशोधन करने के साथ-साथ RAB को खत्म करने का प्रस्ताव भी रखा।
मानवाधिकार कार्यकर्ता और आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि उन्होंने इस तरह की घटनाओं की कारण लोगों की लापता होने की 1676 शिकायतें दर्ज की हैं और अब तक उनमें से 758 मामलों की जांच की है। इनमें से 200 लोग या 27 प्रतिशत पीड़ित कभी वापस नहीं लौटे और जो वापस लौटे उनमें से अधिकतर को रिकॉर्ड में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के तौर पर दिखाया गया है।
आयोग में अध्यक्ष के अलावा जस्टिस फरीद अहमद शिबली, मानवाधिकार कार्यकर्ता नूर खान, निजी बीआरसी विश्वविद्यालय की शिक्षिका नबीला इदरीस और मानवाधिकार कार्यकर्ता सज्जाद हुसैन भी आयोग में शामिल हैं। इससे पहले आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा कि उसे ढाका और उसके बाहरी इलाकों में आठ गुप्त हिरासत केंद्र मिले हैं।
आयोग के अध्यक्ष ने शनिवार को यूनुस को बताया कि मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट पेश करेंगे तथा सभी आरोपों की जांच पूरी करने के लिए उन्हें कम से कम एक और साल की जरूरत होगी। TV चैनलों और सोशल मीडिया पर उन पीड़ितों के इंटरव्यू प्रसारित किए गए जिन्हें कथित रूप से गायब किया गया था। इन पीड़ितों में हसीना के शासन का सक्रिय रूप से विरोध करने वाले विपक्ष के कार्यकर्ताओं और पूर्व सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं।
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