मधेसियों के आरक्षण विरोधी आंदोलन के बाद भारत और नेपाल के बहुआयामी संबंधों में आए उतार-चढ़ाव को स्वीकार करते हुए भारतीय राजदूत रंजीत राय ने कहा कि भारत नेपाल के किसी खास राजनीतिक समूह का समर्थन नहीं करता है। राय ने कहा कि यह गलततफहमी है कि भारत किसी राजनीतिक समूह का समर्थन करता है। नेपाल को लेकर हमारी एक नीति है, किसी एक समूह के लिए नीति नहीं है। उनसे मधेसियों का प्रतिनिधित्व करने वाली राजनीतिक पार्टियों को लेकर भारत के रूख के बारे में पूछा गया था।

मधेसी नेपाल के तराई क्षेत्र में रहते हैं। नए संविधान के विरोध में पिछले साल मधेसी दलों ने चार महीने तक आंदोलन जारी रखा जिस दौरान हिंसा भी हुई और नेपाल में भारतीय सीमा से होने वाली जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति भी बाधित हुई। नेपाल ने भारत पर आरोप लगाया था कि उसने मधेसियों का समर्थन करते हुए छद्म नाकेबंदी की है। भारत ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था।

द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा कि भारत और नेपाल मजबूत और बहुआयामी संबंध साझा करते हैं जिसने उतार-चढ़ाव देखे हैं। नरेंद्र मोदी नेपाल का दो बार दौरा कर चुके हैं। यह इस बात को दिखाता है कि भारत नेपाल को कितना महत्व देता है।

मधेसियों की ओर से उठाए गए मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा कि हमने नेपाल सरकार की ओर से संविधान में किए गए दो संशोधनों का स्वागत किया है। मधेसी अभी संतुष्ट नहीं हैं। वे संविधान के तहत सात प्रांत बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं और अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए उचित व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।

भारत-नेपाल संबंधों में चीन फैक्टर के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा कि बेजिंग भी नेपाल में राजनीतिक स्थिरता, शांति और विकास चाहता है। भूकंप के बाद नेपाल में पुनर्निर्माण की कोशिशों के बारे में राय ने कहा कि भारत ने एक अरब डालर की मदद का वादा किया है और अब काठमांडो को यह फैसला करना है कि उसे यह पैसा कैसे खर्च करना है।