यूएस हमले में मारे जाने वाले ईरान के टॉप मिलिट्री कमांडर कासिम सुलेमानी बीते 4 दशकों से अमेरिका के लिए सिरदर्द बने हुए थे। यही वजह है कि अमेरिका ने कासिम सुलेमानी को प्रतिबंधित सूची में डाला हुआ था। खासतौर पर इराक में ईरान के प्रभाव को बढ़ाने में कासिम सुलेमानी की अहम भूमिका थी। हाल ही में इराक स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले के बाद से अमेरिका कासिम सुलेमानी से खासा नाराज था।
दरअसल अमेरिकी दूतावास पर पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स के समर्थकों ने हमला किया था। पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स के गठन के पीछे भी कासिम सुलेमानी का हाथ बताया जाता है। 1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच हुए युद्ध में भी कासिम सुलेमानी की अहम भूमिका पायी गई थी। इस युद्ध में अमेरिका ने इराक के पूर्व तानाशाह और तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की मदद की थी। खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए कासिम सुलेमानी ने ही कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को इराक में एकजुट किया था।
ईरान सरकार के लिए बड़ा झटकाः ईरान बीते काफी समय से अरब देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने में जुटा है। शिया मुस्लिम बहुल ईरान, कासिम सुलेमानी की मदद से इराक के शिया मुसलमानों का विश्वास जीतने और वहां अमेरिका के प्रभाव को खत्म करने की कोशिश कर रहा था। इसके अलावा ईरान पर आरोप है कि वह यमन में भी सऊदी अरब के खिलाफ विद्रोहियों को मदद पहुंचा रहा था। ईरान की इस योजना में कासिम सुलेमानी काफी अहम व्यक्ति थे। यही वजह है कि कासिम सुलेमानी का मारा जाना ईरान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
ईरान-अमेरिका तनाव चरम परः ईरान और अमेरिका में बीते काफी समय से तनाव चल रहा है। इसी के चलते अमेरिका ने ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हुए हैं। इन प्रतिबंधों ने अमेरिका और ईरान के बीच के तनाव को और बढ़ाया है। हाल ही में ईरान में काम कर रहे एक अमेरिकी ठेकेदार की एक रॉकेट हमले में मौत हो गई थी। इसका बदला लेने के लिए अमेरिका ने इराक में विद्रोही संगठन के ठिकानों पर हवाई हमले किए थे, जिसमें 25 विद्रोही मारे गए थे।
इसके बाद पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स के सदस्यों ने इराक स्थित अमेरिकी दूतावास पर हमला कर दिया था। अब अमेरिकी हमले में कासिम सुलेमानी की मौत से अमेरिका-ईरान के बीच जारी तनाव चरम पर पहुंच गया है। दोनों देशों के बीच जारी इस तनाव पर पूरी दुनिया की नजर है।