भारत में पैगंबर को लेकर की गई टिप्पणी के बाद देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मुसलमान प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में राष्ट्रीय मस्जिद में इस्लामिक लोगों ने प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चुनौती पेश की है, जिसका सामना उन्हें अगले साल 2023 में करना है। बीजेपी के दो पूर्व नेताओं ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर को लेकर टिप्पणी की थी जिसके बाद देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गया। देशभर में कई पुलिस स्टेशनों में नेताओं के फोन बजने लगे।

प्रदर्शनकारियों ने सत्ताधारी आवामी लीग से जुड़ी हस्तियों से भी मारपीट की धमकी दी। सूत्रों की मानें तो ये घटनाक्रम इस साल के अंत में होने वाली बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा को पर संकट खड़ा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। शुक्रवार को ढाका शहर में मुख्य बैतुल मुकर्रम मस्जिद के जुमे की नमाज के बाद सैकड़ो लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और देखते ही देखते ये भीड़ सड़कों पर उतर गई और भारतीय पीएम मोदी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए 16 जून को भारतीय दूतावास के घेराव की घोषणा की है।

बांग्लादेश पहुंची प्रोटेस्ट की आग, सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे
अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट ‘द हिन्दू’ के मुताबिक, अवामी लीग के एक बड़े नेता खांडकर गुलाम मौला नक्शबंदी ने कहा, “मैं बैतुल मोकर्रम में नमाज़ अदा करने गया था। वहां पर आक्रामक भीड़ ने मुझे परेशान किया और मुझे एक अलग बाड़े में नमाज़ अदा करने के लिए मजबूर किया गया। इस मामले पर स्पष्ट रुख अपनाने के लिए बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना पर दबाव बढ़ रहा है। मौजूदा समय हमारी संसद में बजट सत्र चल ​​रहा है और संसद में पीएम का एक बयान जनता की भावनाओं को शांत कर सकता है।”

साल 2019 में शेख हसीना ने किया था भारत का दौरा
आपको बता दें कि इसके पहले साल नवंबर 2019 में पीएम हसीना ईडन गार्डन्स में एक क्रिकेट मैच देखने के लिए भारत आई थीं। उसके पहले उन्होंने दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में हिस्सा लिया था और अक्टूबर के पहले सप्ताह में पीएम मोदी से मुलाकात की थी। हसीना की भारत यात्राओं को एक मैत्री दौरे के रूप में की गई है। ऐसा इसलिए कि भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को कश्मीर के लिए विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था और धारा 370 को निष्प्रभावी बना दिया था। भारत के इस कदम का पाकिस्तान और चीन ने आलोचना भी की थी।

भारतीय विदेशमंत्री ने अप्रैल में किया ढाका का दौरा
भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अप्रैल में ढाका का दौरा किया था और राजनयिक सूत्रों ने उस समय सूचित किया था कि सुश्री हसीना जुलाई में भारत का दौरा करेंगी, हालांकि शुक्रवार की घटना के बाद ऐसी संभावनाएं जताईं जा रहीं है कि ढाका पीएम शेख हसीना के दौरे को लेकर वैकल्पिक तारीखों पर विचार कर रहा है।

आंतरिक राजनीतिक गतिविधियों से प्रभावित थे दोनों देश
साल 2019 से ही उच्च स्तरीय दौरों को लेकर बांग्लादेश के मामले में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति की हमेशा से रही है। दोनों पक्षों के शीर्ष स्तरीय दौरे भारत के “आंतरिक” घटनाक्रमों से प्रभावित थे। मार्च, 2020 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शेख मुजीबुर रहमान के शताब्दी समारोह में भाग लेने वाले थे। ढाका में मेगा इवेंट की तैयारी 10 दिसंबर, 2019 को भारतीय संसद में नागरिकता संशोधन अधिनियम के अधिनियमन के साथ हुई थी। इस अधिनियम का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के पीड़ित अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। सीएए की वजह से बांग्लादेश ने थोड़ी असहजता दिखाई और कोविड काल के दौरान पीएम हसीना ने अपनी खुफिया टीम से महामारी के बारे में मिली जानकारी के बाद कोविड के चलते अपना भारतीय दौरा रद्द कर दिया था।

पीएम मोदी की यात्रा के बाद अब शेख हसीना की बारी है
पीएम मोदी ने मार्च 2021 में मुजीब शताब्दी के कार्यक्रम के लिए ढाका की पुनर्निर्धारित यात्रा की इसके बाद पीएम हसीना की भारत यात्रा की बारी है। यहां सूत्रों का कहना है कि उन्हें अभी इस यात्रा का कोई “संकेत” नहीं मिल रहा है। एक अधिकारी ने संकेत दिया, “वह सितंबर में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के साथ अपनी भारत-यात्रा को जोड़ सकती हैं, जब वह न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेंगी। या वह उसके बाद भारत का दौरा कर सकती हैं।” अधिकारी ने इस बात पर भी संकेत दिया है कि पीएम हसीना भारत में पैगंबर पर टिप्पणियों के बाद हो रहे बवाल के बाद ही यात्रा का समय निर्धारित करें।