अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक ट्वीट की जरिए 16 वर्षीय पर्यावरणविद् ग्रेटा थुनबर्ग का मजाक उड़ाया। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष बैठक में स्वीडिश लड़की ने जोरदार भाषण दिया था। इसपर ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, ‘वह एक बहुत खुशहाल युवा लड़की की तरह लगती है जो एक उज्ज्वल और अद्भुत भविष्य की आशा कर रही है। देख कर अच्छा लगा!’ बता दें कि ट्रम्प ने न्यूयॉर्क में क्लाइमेट एक्शन समिट में भाग लिया था मगर 14 मिनट बाद ही वो कार्यक्रम छोड़कर चले गए। उन्होंने मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन की धारणा के बारे में लगातार संदेह व्यक्त किया है और उनके प्रशासन ने इस मुद्दे को किसी भी तरह की प्राथमिकतना देने से इनकार कर दिया।

उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में राष्ट्रों की अकर्मण्यता के खिलाफ युवा आंदोलन का चेहरा बनती जा रही स्वीडिश किशोरी ग्रेटा थनबर्ग और 15 अन्य युवा कार्यकर्ताओं ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने को लेकर पांच देशों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग को लेकर वैश्विक प्रदर्शनों के बाद युवा कार्यकर्ताओं ने यह शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेंटीना और तुर्की पर बाल अधिकार सम्मेलन के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया गया है।

यह शिकायत स्वीडन की 16 वर्षीय कार्यकर्ता थनबर्ग और 12 विभिन्न देशों के 15 अन्य याचिकाकर्ताओं ने दर्ज कराई है जिनकी आयु आठ वर्ष से 15 वर्ष के बीच है। इस शिकायत में इन पांच देशों पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ पर्याप्त एवं समय पर कदम नहीं उठाकर बाल अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। थनबर्ग ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की शुरुआत में एक विशेष सत्र के दौरान जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए धीमी कार्रवाई को लेकर विश्व के नेताओं को फटकार लगाई थी। गुस्से में नजर आ रही थनबर्ग ने वैश्विक नेताओं पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से निपटने में नाकाम हो कर अपनी पीढ़ी से विश्वासघात करने का आरोप लगाया।

अमेरिका को छोड़कर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने बाल स्वास्थ्य एवं अधिकार रक्षा से जुड़ी संधि को मंजूरी दी थी। यह शिकायत 2014 को अस्तित्व में आए ‘वैकल्पिक प्रोटोकॉल’ के तहत की गई। यदि बच्चों को लगता है कि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है तो वे ‘बाल अधिकार समिति’ के समक्ष इसके तहत शिकायत कर सकते हैं। समिति इसके बाद आरोपों की जांच करती है और फिर संबंधित देशों से सिफारिश करती है कि वे किस प्रकार शिकायत का निपटारा कर सकते हैं। (भाषा सहित)