चीन में अचानक बिजली संकट पैदा होने से दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। इसकी वजह से कई बड़ी कंपनियों को अपने उत्पादन में कमी करने को विवश होना पड़ा। हालात यह है कि मोबाइल से लेकर कार तक का प्रोडक्शन घट गया है। इसकी वजह से बाहरी देशों को निर्यात में भी कमी आएगी। सरकार इस संकट से निपटने के लिए तमाम विकल्पों को खोज रही हैं, हालांकि अभी तक कोई रास्ता नहीं निकल सका है।

कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में महामारी फैलने के बाद सबसे ज्यादा औद्योगिक विकास चीन में हुआ। इससे वहां बिजली की मांग काफी बढ़ गई। इस मांग को पूरा करने में चीन की सरकार नाकाम रही। दूसरी तरफ औद्योगिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए कोयले से बिजली उत्पादन पर जोर दिया जाने लगा, लेकिन चीन और आस्ट्रेलिया के संबंधों में पिछले कुछ समय से आई दरार के चलते वहां से कोयले की आपूर्ति कम कर दी गई।

चीन को जरूरत के मुताबिक कोयला नहीं मिलने से बिजली उत्पादन पर काफी बुरा असर पड़ा। हालात ऐसे हो गए कि कई बड़ी औद्योगिक गतिविधियों पर रोक लगानी पड़ी। वैसे चीन में बढ़ते प्रदूषण की वजह से भी कोयला कम जलाने की लंबे अरसे से मांग की जा रही थी। अब चीन के सामने समस्या यह है कि वह बिजली उत्पादन को कैसे बढ़ाए और बंद हो रहे उद्योग धंधों पर रोक लगाए।

मांग के अनुरूप बिजली नहीं मिलने पर कोयला जलाना मजबूरी होगी, लेकिन एक तो कोयला ही उसे पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा है, दूसरी तरफ कोयला जलाने से बढ़ता प्रदूषण एक बड़ा संकट बनकर उभर रहा है।

पॉवर सप्लाई कम होने से चीन में एप्पल-टेस्ला जैसी कंपनियों के कई सप्लायर्स को अपने प्लांट पर उत्पादन रोकना पड़ा। देश की 15 बड़ी कंपनियां और 30 से ज्यादा ताइवानी कंपनियों को अपनी गतिविधियां घटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। सरकार ने आम नागरिकों से भी कहा है कि वे अपने घरों में कम से कम बिजली का उपयोग करें। साथ ही ऐसे उपकरण लगाएं, जिससे कम खपत हो। हालांकि इसके उलट पिछले अगस्त में चीन ने पिछले सालों की तुलना में कहीं ज्यादा बिजली उत्पादन किया था, लेकिन मांग की पूर्ति करने में यह नाकाफी रहा।