भारत -अमेरिका से रक्षा, अंतरिक्ष सहित अन्य क्षेत्रों को लेकर चर्चा और समझौते हुए हैं। दूसरी ओर, मिस्र के साथ भी कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में बेहद अहम समझौते हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका पहुंचकर राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
यह उनकी पहली राजकीय यात्रा थी, इसमें भारत और अमेरिका ने आपसी वाणिज्य, तकनीकी हस्तांतरण, सेमीकंडक्टर सौदा, 5जी और 6जी दूरसंचार और ओपन सोर्स आधारित दूरसंचार नेटवर्क, क्वांटम और एडवांस कंप्यूटिंग के क्षेत्र में तकनीक को बढ़ावा देने संबंधी कई समझौते हुए हैं। भारत और अमेरिका के बीच सबसे अहम सौदा रक्षा क्षेत्र में हुआ।
अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) और हिंदुस्तान एअरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच समझौता ज्ञापन (एमओए) हो गया है। इससे रक्षा क्षेत्र में बहु प्रतीक्षित विकास होगा। इस समझौते से अमेरिका से सबसे आधुनिक जेट इंजन तकनीक भारत को मिल सकेगी। जेट इंजन एफ 414 के संयुक्त निर्माण से दोनों देशों को फायदा होगा।
दूरगामी नतीजों की उम्मीद
जो करार हुए हैं, उनके तहत अमेरिका की कंप्यूटर मेमोरी चिप विनिर्माता माइक्रोन टेक्नोलाजी गुजरात में अपना सेमीकंडक्टर असेंबली एवं परीक्षण संयंत्र लगाएगी, जिसपर कुल 2.75 अरब डालर (22,540 करोड़ रुपए) का निवेश होगा। भारत में सेमीकंडक्टर शिक्षा और कार्यबल के विकास में तेजी लाने के लिए 60,000 भारतीय इंजीनियरों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
एक सहयोगी इंजीनियरिंग केंद्र स्थापित करने के लिए 40 करोड़ अमेरिकी डालर का निवेश किया जाएगा। अमेरिका से भारत को अत्याधुनिक जेट इंजन तकनीक मिलने के करार को ऐतिहासिक माना जा रहा है। एफ414 इंजन भारत की अगली पीढ़ी के तेजस दो को शक्ति देगा। बाइडेन प्रशासन ने साथ ही ये घोषणा की है कि वह भारतीय श्रमिकों के लिए अमेरिकी वीजा प्राप्त करना और नवीनीकरण करना आसान बना देगा।
अंतरिक्ष क्षेत्र व मानवरहित विमान
भारत और अमेरिका ने 31 ‘हाई एल्टीट्यूड लांग एंड्योरेंस’ (हेल) ड्रोन के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से नौसेना को 15 सीगार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जबकि थलसेना और भारतीय वायुसेना को आठ-आठ भूमि संस्करण वाले ड्रोन स्काईगार्जियन प्राप्त होंगे। भारत के रक्षा मंत्रालय द्वारा इस सौदे को केवल 18 ड्रोन खरीदने तक सीमित किए जाने से हर ड्रोन की कीमत बढ़ जाने की आशंका थी।
इससे ये सौदा मौजूदा 31 ड्रोन की तुलना में महंगा पड़ता। प्रधानमंत्री के दौरे से पहले, अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन इसी महीने की शुरुआत में भारत आए थे। ये समझौता आपूर्ति श्रृंखलाओं का, अमेरिका और भारत के रक्षा उद्योग के बीच और गहरे सहयोग, ‘आपूर्ति की व्यवस्था की सुरक्षा’ और एक ‘रेसिप्रोकल डिफेंस प्रोक्योरमेंट अरेंजमेंट’ का है।
दूसरी ओर, भारत-अमेरिका ने 2024 के लिए संयुक्त अंतरिक्ष यात्री मिशन की भी घोषणा की है। भारत ने अर्टेमिस संधि में शामिल होने का फैसला किया है और अमेरिकी अंतरिक्ष एजंसी नासा (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2024 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) के लिए एक संयुक्त मिशन भेजने पर सहमत हुए हैं। अर्टेमिस संधि असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण पर समान विचार वाले देशों को एक मंच पर लाता है।
गतिशील संबंध
अमेरिका में मोदी से मुलाकात के बाद बाइडेन ने कहा कि दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत के साथ रिश्ते इतिहास में सबसे ज्यादा मजबूत हैं, दोनों एक दूसरे के करीब आए हैं, और गतिशील हुए हैं। बाइडेन की ये बात अतिश्योक्ति नहीं है। जानकारों के मुताबिक, इस दौरे से साफ हुआ है कि रिश्तों में बदलाव आया है। एक छोटे समय में रिश्तों में गहराई आई है।
इसकी मुख्य वजह यह है कि अमेरिका चीन से बिगड़ते रिश्तों को संतुलित करने के लिए भारत को करीब ला रहा है और साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते पिछले कुछ समय में उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं।
वर्ष 2005 में एक ऐतिहासिक परमाणु समझौते के बाद भारत-अमेरिका संबंध अपने वादों पर खरे नहीं उतरे, क्योंकि तीन साल बाद भारत ने एक कानून पास किया जिसके कारण संयंत्रों की खरीद में बाधा आई। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में रिश्तों में प्रतिबद्धता की कमी होने लगी। मोदी के कार्यकाल में गर्माहट अधिक दिख रही है।
मिस्र का दौरा
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी ने जनवरी 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण दिया था। राष्ट्रपति फतेह के निमंत्रण पर मोदी 24 जून को वाशिंगटन से मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंचे। उन्होंने राष्ट्रपति अब्देल फतह से मुलाकात की। मोदी ने मिस्र के राष्ट्रपति को जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया।
राष्ट्रपति फतेह ने काहिरा में पीएम मोदी को देश के सबसे बड़े राजकीय सम्मान से सम्मानित किया। मिस्र दौरे के दौरान चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा कृषि क्षेत्र, स्मारकों की सुरक्षा एवं संरक्षण को लेकर भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए।
क्या कहते हैं जानकार
अमेरिकी सरकार की ओर से आपको (मोदी की वाशिंगटन यात्रा पर) जो संदेश मिलता है, वह यह है कि वे संबंधों को अत्यधिक महत्व देते हैं। रणनीतिक स्तर पर, हम अपने रक्षा उद्योगों में अत्याधुनिक उपकरण बनाने के लिए संयुक्त निर्माण और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास के साथ सहयोग के स्तर पर चले गए हैं।
हर्षवर्धन शृंगला, पूर्व विदेश सचिव।
दोनों देशों की सेनाएं मिलकर काम कर रही हैं। दोनों के बीच अब एक समझौता हुआ है कि लड़ाकू जहाजों में तेल भराने के लिए वो एक दूसरे की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों संयुक्त अभ्यास कर रहे हैं और पहले से ज्यादा खुफिया सूचनाएं साझा कर रहे हैं। यह भारत की कूटनीतिक कवायद की सफलता है।
टीसीए राघवन, पूर्व राजनयिक।