तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा 90 साल के हो गए। उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी और इससे चीन को मिर्ची लग गई। चीन ने भारत के सामने अपना विरोध जताया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि भारत को तिब्बत से संबंधित मुद्दों की संवेदनशीलता को पूरी तरह से समझना चाहिए।

क्या बोला चीन?

चीन ने कहा कि भारत को तिब्बत से संबंधित मुद्दों पर चीन से की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए और चीन के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दलाई लामा एक राजनीतिक निर्वासित इंसान हैं, जो लंबे समय से चीन में अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। चीन ने कहा कि दलाई लामा ने धर्म की आड़ में तिब्बत को चीन से अलग करने की कोशिश की है।

प्रधानमंत्री मोदी ने दलाई लामा को दी थी बधाई

प्रधानमंत्री मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देते हुए X पर एक पोस्ट में लिखा था, “मैं 1.4 अरब भारतीयों के साथ मिलकर दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। वे प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के प्रतीक रहे हैं। उनके संदेश ने सभी धर्मों के लोगों में सम्मान और प्रशंसा को प्रेरित किया है। हम उनके निरंतर अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं।”

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किरेन रिजिजू के बयान पर भी भड़का था चीन

इससे पहले बीते गुरुवार को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ने एक बयान दे दिया था जिस पर चीन भड़क गया था। किरेन रिजिजू ने कहा था कि केवल दलाईलामा और उनकी तरफ से स्थापित ट्रस्ट को ही तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता के रूप में अपना उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार है।

चीन ने केंद्रीय मंत्री के बयान पर कहा था कि भारत-चीन संबंधों के सुधार में रुकावट डालने से बचना चाहिए। बता दें कि दलाई लामा 1959 से ही भारत में रह रहे हैं। चीन ने उनके खिलाफ विद्रोह किया था, जिसके बाद पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारत में शरण दी थी। दलाई लामा ने पहले कहा था कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर आजाद दुनिया में पैदा होगा। वहीं चीन का कहना है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चीनी कानून के अनुसार चुना जाएगा।