कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाईलाइट करने की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की कोशिश फ्लॉप सिद्ध हो रही है। वैश्विक स्तर पर अपनी फजीहत कराने के बाद इमरान खान ने खुद माना है कि उनका “मिशन कश्मीर” फेल हो गया है। मंगलवार को इमरान खान ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर के संदर्भ में कोई ठोस रेस्पॉन्स नहीं मिला है। उन्होंने इसके पीछे ‘एक अरब लोगों के बाजार’ और कश्मीरियों के मुसलमान होने का हवाला दिया है।

इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, “बेबाक तरीके से कहूं तो मैं कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निराश हूं। मैं पूछना चाहता हूं कि अगर 8 मिलियन (80 लाख) यूरोपीय नागरिकों या यहूदियों या 8 अमेरिकी नागरिकों को ऐसे बंदी बनाकर रखा गया होतो तो क्या प्रतिक्रिया होती?” पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लागू प्रतिबंधों पर बोलते हुए कहा प्रधानमंत्री मोदी पर बंद हटाने को लेकर कोई दबाव नहीं है। लेकिन हम दबाव डालते रहेंगे।

इमरान खान और उनका प्रतिनिधिमंडल हर अंतरराष्ट्रीय फोरम पर कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से लेकर ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और फ्रांस के इमैनुअल मैक्रोन से कश्मीर का मुद्दा उठाया। लेकिन, इस पर सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रतिक्रिया देते हुए मध्यस्थता की बात कही। हालांकि, मंगलवार को ट्रंप ने कहा कि पीएम मोदी और इमरान खान खुद बैठकर कश्मीर मसले का हल निकाल लेंगे।

पाकिस्तान के पीएम मोदी और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे हुए हैं। इस दौरान मोदी और खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से अलग- अलग मुलाकातें की। पाक पीएम के साथ बातचीत के बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की एक बार फिर से बात छेड़ी है।