पाकिस्तान ने उन आरोपों को खारिज कर दिया है, जिनमें अफगानिस्तान स्थित CIA ठिकाने पर हमले की पीछे उसकी भूमिका का खुलासा किया गया है। सात साल पहले अफगानिस्तान के खोस्त में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के ठिकाने पर हमला हुआ था। यूं तो अफगानिस्तान में आतंकी हमला होना सामान्य सी बात है, लेकिन खोस्त में हुआ हमला दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिकी के खुफिया ठिकाने पर था। यही कारण है कि 2009 में हुए इस हमले को अमेरिकी सेना पर बीते 25 साल में सबसे बड़ा हमला माना गया।
इस आतंकी हमले को हक्कानी नेटवर्क ने अंजाम दिया था। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों में पाकिस्तान सरकार की इस साजिश का खुलासा हुआ है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से सार्वजनिक किए गए ये दस्तावेज 2010 में एक अमेरिकी अफसर ने तैयार किए थे। इनमें पर लिखा है कि पाकिस्तान के खुफिया नेटवर्क की मदद से हक्कानी गुट ने 30 दिसंबर 2009 के हमले को अंजाम दिया था। इसमें सात अमेरिकी जासूसों के साथ तीन स्थानीय नागरिक मारे गए थे। अमेरिकी दस्तावेजों में दावा किया गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने हमले के लिए 2 लाख डॉलर दिए थे। हमले में एक शख्स अल-कायदा के मुखबिर के तौर पर अमेरिकी कैंप में पहुंचा था और उसने खुद को उड़ा लिया था।
हमले के बारे एक अमेरिकी अफसर ने कहा कि इस तरह के दावों की पुष्टि करना मुश्किल है, क्योंकि सूचना का स्रोत नहीं बताया गया है। इस अफसर के मुताबिक, “इसमें कोई दो राय नहीं है कि हक्कानी गुट बेहद खतरनाक आतंकी संगठन है, जो बेकसूर लोगों और खासतौर पर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाता रहा है।” इस अफसर ने आगे कहा कि आमतौर पर माना यह जाता है कि वह हमला अल कायदा ने किया था और उसमें हक्कानी नेटवर्क का कोई हाथ नहीं था।
वहीं, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि इस तरह के आरोपों से हम दुखी और हैरान हैं। पाकिस्तान किसी भी तरह के आतंकवाद को खत्म करने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता रहा है।