पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने दावा किया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में भारतयी सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर “सीना न ठोकने” की हिदायत भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की बातचीत के बाद दिया था। अखबार का दावा है कि भारतीय एनएसए अजित डोभाल और पाकिस्तानी एसएसए नासिर जंजुआ के बीच दो अक्टूबर को हुई बातचीत में “भड़काऊ बयान” देने से परहेज करने पर सहमति बनी थी ताकि दोनों देशों के बीच के तनाव को कम किया जा सके। जम्मू-कश्मीर के उरी स्थित आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले में 19 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। वहीं भारत द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करके पीओके में की गई सर्जिकल स्ट्राइक में कई आतंकी मारे गए थे और कई आतंकी लॉन्चिंग पैड नष्ट हो गए थे।
पाकिस्तानी अखबार ने पाक अधिकारियों के हवाले से लिखा है, “भारतीय एनएसए डोभाल ने पाकिस्तानी एसएसए जंजुआ को आश्वत किया कि नरेंद्र मोदी सरकार तनाव कम करना चाहीत है और कोई भी भारतीय अधिकारी गैर-जरूरी बयान नहीं देगा। इसी वजह से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते अपनी कैबिनेट की बैठक में “सीना ठोकने से परहेज” करने और पाकिस्तान संबंधी मामलों पर केवल संबंधित मंत्रियों के ही बयान देने की बात कही थी।” पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अज़ीज़ ने हाल ही में कहा कि भारत में जब तक नरेंद्र मोदी सरकार है तब तक दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर नहीं हो सकते। लेकिन पाकिस्तानी सांसद मुशाहिद हुसैन सैय्द ने पिछले हफ्ते अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान पाकिस्तान से बातचीत के मसले पर “नरेंद्र मोदी सरकार के रुख में सकारात्मक बदलाव” की उम्मीद जताई थी।
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उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में नवंबर में होने वाले दक्षेस सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया। भारत के इस सम्मेलन से अलग होने के बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मालदीव, श्रीलंका और भूटान ने भी पाकिस्तान में होने वाले दक्षेस सम्मेल के बहिष्कार की घोषणा की जिसके बाद इस सम्मेलन का भविष्य अधर में लटक गया है।
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