भारत के हाल ही में ‘एंटी बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली’ विकसित करने पर पाकिस्तान ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि यह भारत को सुरक्षा की एक झूठी तसल्ली दे सकता है। इससे अप्रत्याशित पेचीदगी बढ़ेगी, जो एक दोस्ताना संबंध वाले पड़ोस की इसकी नीति के उलट है।
भारत ने स्वदेश विकसित सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का 15 मई को ओड़ीशा तट से सफल परीक्षण किया था। यह दूसरी ओर से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट करने में सक्षम है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की खबर के मुताबिक सीनेट की कल हुई बैठक में यह आलोचना की गई है। विदेश मामलों पर सलाहकार सरताज अजीज ने सरकार की प्रतिक्रिया से सीनेट को अवगत कराया।
उन्होंने कहा, ‘भारत द्वारा व्यापक पारंपरिक परमाणु और मिसाइल विकास कार्यक्रम अब हिंद महासागर के परमाणुकरण की ओर ले जा रहा है।’ अजीज ने कहा कि एक एंटी बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली का विकास भारत को सुरक्षा की एक झूठी भावना दे सकता है जिससे अप्रत्याशित पेचीदगी बढ़ेगी। इस तरह की कार्रवाई एक मित्र पड़ोस की नीति के उलट है, जिसे हमारे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बार-बार दोहराया है। उन्होंने कहा कि इन घटनाक्रमों पर पाकिस्तान की गंभीर चिंताएं हैं और अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए यह हर आवश्यक उपाय करेगा।
सत्तारूढ़ पीएमएल एन के सीनेटर जावेद अब्बासी ने कहा कि 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद शक्ति का संतुलन बिगड़ा है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों ने भारतीय इंटरसेप्टर मिसाइल परीक्षण पर गौर किया है। पीएमएल क्यू के सीनेटर मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा कि इंटरसेप्टर मिसाइल परीक्षण ने भारत से सैन्य खतरे को बढ़ा दिया है।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की आगामी बैठक का हवाला देते हुए मुशाहिद ने कहा कि एनएसजी में भारत को शामिल करने के लिए आधार तैयार किया जा रहा है। यह हमारी कूटनीतिक नाकामी है। यहां तक कि हमारे निकट पड़ोसी अफगानिस्तान और ईरान भी भारत के पाले में चले गए हैं। सीनेट के अध्यक्ष रजा रब्बानी ने कहा कि भारत के मिसाइल परीक्षण से उपजे हालात का जवाब देने के लिए एक स्पष्ट रणनीति अवश्य ही बनाई जानी चाहिए।