अफगानिस्तान में मौजूद अपनी सेना को मदद पहुंचाने के लिए अमेरिका पाकिस्तान में अपना मिलिट्री बेस बनाने की योजना पर काम कर रहा है। वहीं इमरान सरकार ने भी अमेरिका द्वारा मिलट्री बेस बनाए जाने को लेकर सकारात्मक संकेत भी दिए हैं। उधर अमेरिका के पेंटागन ने इस मसले पर कहा है कि उनकी इमरान सरकार और पाकिस्तानी सेना के बातचीत चल रही है।  

दरअसल पेंटागन ने अपने एक बयान में कहा है कि वह अफगानिस्तान में शांति बहाल करने और वहां मौजूद अपनी सेना को मदद पहुंचाने के लिए एक मिलिट्री बेस ढूंढ रहा है। साथ ही पेंटागन ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सेना को समर्थन देने की बात कही है और पाकिस्तान के साथ मिलिट्री बेस को लेकर भी बातचीत जारी है। पाकिस्तान में मिलिट्री बेस मिलने के बाद अमेरिकी सेना को तालिबान के खिलाफ जारी लड़ाई में काफी सहयोग मिलेगा।

वहीं एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने कहा है कि 2001 में मिलिट्री बेस और ग्राउंड सपोर्ट को लेकर अमेरिकी सेना और पाकिस्तानी सेना के बीच हुआ एग्रीमेंट अभी भी वैध है। पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने मिलिट्री बेस से जुड़ी अफवाहों से इंकार करते हुए कहा कि सैनिक एयरबेस को लेकर फ़िलहाल अमेरिकी सेना के साथ कोई करार नहीं हुआ है। बीते दिनों भी बलूचिस्तान में एक नया हवाई अड्डा बनाने को अमेरिकी मिलिट्री बेस से जोड़ने के अफवाहों पर विदेश मंत्रालय ने इसका खंडन किया था।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ाहिद हफ़ीज़ चौधरी ने कहा था कि पाकिस्तान में न तो अमेरिकी सेना है, न ही कोई एयर बेस और न किसी ऐसे प्रस्ताव पर कोई विचार किया जा रहा है। इस संबंध में लगाई जाने वाली सभी अटकलें मात्र अफवाह हैं। साथ ही उन्होंने कहा था कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान का हवाई और जमीनी सहयोग 2001 से जारी है। साथ ही पाकिस्तानी वायुसेना के प्रवक्ता ने भी इन अफवाहों का खंडन किया था।

इसके अलावा अमेरिका द्वारा पाक को सुरक्षा मदद ना देने का ट्रंप प्रशासन का फैसला बाइडेन सरकार द्वारा जारी रखने पर पाकिस्तानी के विदेश मंत्री गुस्सा हो गए थे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि हम अमेरिका को मिलिट्री बेस नहीं बनाने देंगे और ना ही ड्रोन हमले की मंजूरी देंगे।