पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के द्वारा आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के दावों के बावजूद पाकिस्तान को एफएटीएफ(FATF) की ग्रे लिस्ट में ही रखा गया है। मनी लांड्रिंग और आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने वाले संगठनों पर लगाम लगाने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की मीटिंग में पाकिस्तान को एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में ही रखा गया है।
एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान ने 27 में से 26 मानकों को पूरा किया। लेकिन आतंकवादियों को सजा दिलाने और कड़ी कार्रवाई करने में नाकाम रहा। इसलिए पाकिस्तान को इन्क्रीज्ड मॉनिटरिंग लिस्ट यानी ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा। हालांकि प्लेयर ने आतंकवाद से निपटने की कोशिशों और कानूनों व्यवस्था में सुधार करने को लेकर पाकिस्तान की तारीफ़ भी की और कहा कि इसी साल अक्टूबर में फिर से इसकी समीक्षा की जाएगी।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान से कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करे। पाकिस्तान में रह रहे इन आतंकवादियों में जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर, लश्कर ए तय्यबा का संस्थापक हाफिज सईद और उसका ‘ऑपरेशनल कमांडर’ जकीउर रहमान लखवी शामिल है। एफएटीएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिए काम करना जारी रखना चाहिए।
क्या है FATF: एफएटीएफ मनी लांड्रिंग और आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने वाले संगठनों पर नजर रखने वाली संस्था है। 1989 में इस संस्था का गठन किया गया था। इसमें करीब 37 देश और दो क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं। एफएटीएफ ने कुछ मानक बनाए हैं जिससे अपराध और आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने से रोका जाता है। एफएटीएफ के मानकों का नहीं पालन करने वाले देशों को अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से सहायता मिलने में मुश्किल होती है।