पाकिस्तान के निवर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्वीकार किया है कि उनकी सरकार भी शक्तिशाली सेना के समर्थन के बिना नहीं चल सकती, जो तख्तापलट की आशंका वाले देश की राजनीति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। शहबाज शरीफ जब विपक्ष के नेता थे, तो वह शासन चलाने के लिए सेना के दखल को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान की आलोचना करते थे। लेकिन, सत्ता में आने के बाद उन्होंने वही ढर्रा अपना लिया।

गुरुवार को प्रसारित ‘जियो न्यूज’ के साथ एक साक्षात्कार में जब एंकर ने कहा कि पाकिस्तान आज दुनिया में ‘हाइब्रिड शासन’ के सबसे प्रमुख उदाहरणों में से एक है, तो शरीफ ने कहा कि खान ने पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा पर बहुत भरोसा किया था। शहबाज ने कहा कि खान को भी अपने कार्यकाल के दौरान सैन्य समर्थन मिला।

भले उन्होंने दूसरों पर आरोप लगाए लेकिन उनकी सरकार विभिन्न घटकों का मिश्रण थी। हर सरकार को सेना सहित प्रमुख क्षेत्रों से समर्थन की आवश्यकता होती है। पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद से देश में आधे समय तक सेना का शासन रहा है। शेष आधे भाग में इसने पर्दे के पीछे से देश की राजनीति को नियंत्रित करने का काम किया।

पाकिस्तान की सेना ने बार-बार कहा है कि वह देश की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करेगी, लेकिन नीतिगत मामलों में उसका प्रभाव अब भी स्पष्ट है। हाल में, वह वित्तीय निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग ले रही है और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कोई प्रतिरोध दिखाने के बजाय इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया। उन्होंने प्रमुख क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेष निवेश सुविधा परिषद की स्थापना की और प्रधानमंत्री के साथ सेना प्रमुख भी इसका हिस्सा हैं।

कार्यवाहक प्रधानमंत्री के मुद्दे पर विपक्षी नेता से फिर बातचीत करेंगे

शहबाज शरीफ और विपक्ष के नेता इस साल के अंत में आम चुनाव कराए जाने को लेकर कार्यवाहक प्रधानमंत्री को नामित करने के मुद्दे पर फिर से बातचीत करेंगे। नेशनल असेंबली (एनए) को भंग किए जाने के एक दिन बाद शहबाज शरीफ ने गुरुवार को प्रतिष्ठित पद पर संभावित उम्मीदवारों की सूची का आदान-प्रदान करने के लिए विपक्षी नेता राजा रियाज से मुलाकात की थी।

एक बयान में कहा गया कि बैठक प्रधानमंत्री आवास पर हुई। ‘डान’ अखबार की खबर के अनुसार, इसके बाद संसद भवन में रियाज ने मीडियाकर्मियों से बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए नाम तय करने की कोई जल्दी नहीं है। अखबार ने कहा कि यह भी माना जा रहा है कि निवर्तमान प्रधानमंत्री 12 अगस्त को कार्यवाहक प्रधानमंत्री के नाम की घोषणा करेंगे, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह 14 अगस्त की शाम या उसके अगले दिन होगा।

शीर्ष अदालत ने फैसलों की समीक्षा का कानून रद्द किया

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से लिए गए एक निर्णय में अपने फैसलों की समीक्षा करने की प्रक्रिया में संशोधन करने वाले एक कानून को रद्द कर दिया। इससे सार्वजनिक पद धारण करने के लिए आजीवन अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को चुनौती देने के इच्छुक पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा कि उच्चतम न्यायालय (फैसलों और आदेशों की समीक्षा) कानून-2023 असंवैधानिक था। पाकिस्तान सरकार ने मई में अपने मूल अधिकार क्षेत्र के तहत उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अपील का अधिकार प्रदान करने के लिए कानून बनाया।

नवाज शरीफ को वर्ष 2017 में शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने अयोग्य घोषित कर दिया था, लेकिन वह अपील दायर नहीं कर सके क्योंकि शीर्ष न्यायपालिका के फैसले को चुनौती देने के लिए कोई कानून नहीं था। वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद वह सार्वजनिक पद संभालने के लिए आजीवन अयोग्य हो गए।