पाकिस्तान में हुए चुनाव में इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) दोनों ने अपने दलों की भारी जीत के दावे किए हैं, लेकिन अभी तक आधिकारिक तौर पर अंतिम चुनाव परिणामों का ऐलान नहीं किया गया है। किसी भी दल को पूरा बहुमत मिलने की संभावना काफी कम है। ऐसे में सरकार बनाने के लिए गठबंधन जरूरी होगा। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के समर्थन से खड़े उम्मीदवारों को भारी जीत मिली है। अब तक घोषित नतीजों में से 90 से ज्यादा सीटों पर उनको जीत मिली है। दूसरी तरफ नवाज शरीफ की पार्टी को 65 से ज्यादा सीटों पर कामयाबी मिली है। आर्थिक संकट से परेशान पाकिस्तान त्रिशंकु संसद की ओर बढ़ रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री ने जनादेश का सम्मान करने का आह्वान किया

किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करने के अपने रुख में बदलाव करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को मुश्किलों से बाहर निकालने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठने और सरकार बनाने की जरूरत है। उन्होंने गठबंधन का आह्वान भी किया। लाहौर में पार्टी के केंद्रीय सचिवालय में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) समर्थकों को संबोधित करते हुए 74 वर्षीय शरीफ ने कहा कि उनकी पार्टी इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ से समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवारों सहित सभी दलों के जनादेश का सम्मान करती है।

निर्दलीय उम्मीदवारों में से ज्यादातर इमरान खान समर्थक

धांधली के आरोपों, छिटपुट हिंसा और देशव्यापी मोबाइल फोन बंद होने के कारण गुरुवार को हुए आम चुनाव के बाद वोटों की गिनती अब भी जारी है। चुनाव आयोग के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार 265 में से 226 निर्वाचन क्षेत्रों के नतीजे घोषित किए गए। निर्दलीय उम्मीदवारों (ज्यादातर पीटीआई से समर्थित) को 92 सीटें मिलीं, जबकि पीएमएल-एन को 64, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) को 50, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) को 12 और अन्य पार्टियों को 8 सीटें मिलीं।

सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को नेशनल असेंबली की 265 में से 133 सीटें जीतनी होंगी। एक उम्मीदवार की मृत्यु के बाद एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था।

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 336 सीटें हैं। इनमें से 266 सीटों पर सीधे जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है, जबकि 70 सीटें आरक्षित होती हैं। इनमें से 60 सीटें महिलाओं के लिए और दस सीटें अल्पसंख्यक हिंदुओं और ईसाइयों के लिए हैं। इनका चुनाव नेशनल असेंबली में जीतकर आए दलों की संख्या के हिसाब से किया जाता है। सभी सीटों (336) को मिलाकर सामान्य रूप से बहुमत हासिल करने के लिए 169 सीटों की जरूरत होती हैं।