Pakistan Politcs: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। खान की गिरफ्तारी पाक रेंजर्स कोर्ट रूम से हुई है। इमरान की गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है। जब हाल ही में उन्होंने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के अधिकारी मेजर जनरल फैसल नसीर पर गंभीर आरोप लगाए थे। इमरान ने आरोप लगाया था कि मेजर जनरल नसीर उनकी हत्या कराने की कोशिश कर रहे हैं। इमरान के इस बयान के बाद पाकिस्तान आर्मी ने उनको फटकार भी लगाई थी। यहां एक बात गौर करने वाली है कि पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री अभी तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।
पाकिस्तान को अब तक 23 प्रधानमंत्री मिल चुके
1947 से अब तक पाकिस्तान का कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। कभी सेना ने तख्तापलट किया तो कभी कोर्ट ने प्रधानमंत्रियों को अयोग्य करार दिया। एक बार तो ऐसा भी वाक्य सामने आया, जब मौजूदा प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई। 1947 में भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान का गठन हुआ और तब से लेकर अब तक देश को 23 पीएम मिल चुके हैं। इमरान इस देश के 22वें पीएम थे और शहबाज शरीफ 23वें पीएम हैं। पाकिस्तान में चार बार तख्तापलट हो चुका है और हर बार लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से हटाया गया। वहीं इमरान ऐसे पीएम थे, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव की वजह से अप्रैल, 2022 को पीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी।
लियाकत अली खान की गोली मारकर हत्या
लियाकत अली खान 15 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने, लेकिन वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं सके। 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी में उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद ख्वाजा नजीमुद्दीन पाकिस्तान के दूसरे पीएम बने। उन्होंने 17 अक्टूबर 1951 को पीएम पद की शपथ ली। लेकिन डेढ़ वर्ष के बाद यानी सात अप्रैल 1953 को गर्वनर जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद ने उनकी सरकार को भंग कर दिया। इस तरह उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा।
17 अप्रैल 1953 को मुहम्मद अली बोगरा ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली, लेकिन वो ज्यादा दिनों तक पीएम नहीं रह सके। 1954 में उन्हें पीएम पद से हाथ धोना पड़ा। बोगरा फिर से देश के पीएम बने, लेकिन बहुमत न होने की वजह से उनकी सरकार को गर्वनर जनरल सिंकदर मिर्जा ने साल 1955 में भंग कर दिया। बोगरा के बाद साल 1955 में चौधरी मुहम्मद अली पाक पीएम बने। मुहम्मद अली के सिकंदर मिर्जा के साथ मतभेद थे। 12 सितंबर, 1956 को उन्हें अपने पीएम पद से जाना पड़ा।
मिर्जा को 1956 के सविंधान के तहत राष्ट्रपति बनाया गया था। अवामी लीग के हुसैन शहीद सुहावर्दी ने पाकिस्तान को साल 1954 के चुनावों में जीत दिलाई थी। वह मुस्लिम लीग के अलावा किसी और पार्टी के पहले नेता थे, जिन्हें चुनावों में जीत मिली थी। साल 1956 में उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया, लेकिन साल 1957 में उन्हें भी मिर्जा के साथ मतभेदों के चलते पद से हटा दिया गया। सुहारवर्दी के इस्तीफे के बाद इब्राहीम इस्माइल चुंदरीगर प्रधानमंत्री बने। सिर्फ दो महीने तक पीएम रहने के बाद दिसंबर 1957 में उन्होंने ये पद छोड़ दिया। इसके बाद फिरोज खान को पाकिस्तान के सांतवें पीएम बने। साल 1958 में देश ने पहली बार तख्तापलट देखा। जनरल अयूब खान ने सत्ता संभाली और देश में मार्शल लॉ लगा दिया गया।
जुल्फिकार अली भुट्टो 5 जुलाई, 1977 को बने पीएम
पाकिस्तान में यह हालात 13 साल तक रहे। तब जाकर मिलिट्री रूल खत्म हुआ। एक विशेष व्यवस्था के जुल्फिकार अली भुट्टो को सन 1973 में तब तक पाकिस्तान का राष्ट्रपति का पद दिया गया, जब तक देश के नए संविधान को मंजूरी नहीं मिल गई। 14 अगस्त 1973 को भुट्टो ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया और वो देश के 9वें पीएम बने। भुट्टो 5 जुलाई 1977 तक पीएम के पद पर रहे।
साल 1979 में भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया
साल 1977 में पाकिस्तान में चुनाव हुए और भुट्टो चुनावी मैदान में उतरे। इसी साल जुलाई 1977 में जनरल मुहम्मद जिया उल हक ने तख्तापलट किया और खुद शासक बन बैठे। साल 1979 में भुट्टो को सेना और न्यायपालिका की मिलीभगत के चलते फांसी पर लटका दिया गया।
नवाज शरीफ तीन बार पीएम बने, लेकिन एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए
‘पंजाब के शेर’ कहे जाने वाले नवाज शरीफ रिकॉर्ड तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। पाकिस्तान के सबसे रसूखदार सियासी परिवार और सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन के मुखिया शरीफ जून, 2013 में तीसरे कार्यकाल में सत्ता पर आसीन होने के बाद से सभी ‘सुनामी’ से पार पाने में सफल रहे, लेकिन पनामागेट मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया था, जो उनके करियर के लिए बहुत बड़ा झटका रहा। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पाकिस्तान राजनीतिक संकट में चला गया था।