पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे हमजा शहबाज ने शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पंजाब के मुख्यमंत्री पद के लिए शुक्रवार को उपचुनाव हुआ था। इस दौरान हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। राज्य की विधानसभा के डिप्टी स्पीकर द्वारा शहबाज के प्रतिद्वंदी के समर्थन में दिए गए 10 वोटों को खारिज करने के बाद पीएम के बेटे ने मात्र तीन वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।

हालांकि, शहबाज की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के पास विधानसभा में बहुमत नहीं था, लेकिन विपक्षी नेता चौधरी परवेज इलाही के 10 वोट रद्द होने के बाद वो मुख्यमंत्री बने हैं। शपथ ग्रहण समारोह पंजाब के गवर्नर हाउस में आयोजित किया गया था, राज्यपाल बालीघुर रहमान ने उन्हें सीएम पद की शपथ दिलाई।

डिप्टी स्पीकर मुहम्मद मजारी ने इलाही की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्यू (पीएमएल-क्यू) के 10 वोटों को संविधान के अनुच्छेद 63-ए का हवाला देते हुए, खारिज कर दिया था। पीएमएल-क्यू पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सहयोगी थी।

368 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को 179 वोट मिले, जबकि इलाही की पार्टी को 176 वोट मिले। पीएमएल-क्यू प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन के आदेशों का उल्लंघन किए जाने के कारण इन दस वोट को खारिज किया गया।

वहीं, पीटीआई-पीएमएलक्यू सांसदों ने डिप्टी स्पीकर के फैसले पर विरोध जताया है। इलाही ने कहा कि वह फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे क्योंकि डिप्टी स्पीकर ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है।

यह दूसरी बार है जब हमजा ने पंजाब के मुख्यमंत्री के चुनाव में इलाही को हराया है। पिछली बार जब उन्होंने 16 अप्रैल को जीत हासिल की थी, तब तत्कालीन राज्यपाल उमर सरफराज चीमा ने उन्हें शपथ दिलाने से इनकार कर दिया था, उनके शपथ ग्रहण में कई दिनों की देरी हुई थी। लाहौर उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ ने 30 अप्रैल को उन्हें शपथ दिलाई थी।

इससे पहले, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान ने चेतावनी दी थी कि अगर राज्य मशीनरी का गलत इस्तेमाल किया गया और जनादेश का पालन नहीं किया गया, तो पाकिस्तान की स्थिति भी श्रीलंका जैसी हो जाएगी।