नकदी संकट और अस्थिर अर्थव्यवस्था समेत कई आर्थिक चुनातियों का सामना कर रहा पाकिस्तान देश के बड़े उद्योगों पर दस प्रतिशत की दर से ‘सुपर टैक्स’ लगाएगा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ( Shehbaz Sharif) ने शुक्रवार (24 जून 2022) को सीमेंट, स्टील और ऑटोमोबाइल जैसे बड़े उद्योगों पर 10 प्रतिशत ‘सुपर टैक्स’ लगाने की घोषणा की। पाकिस्तान पीएम ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य बढ़ती महंगाई से निपटना और कैश की कमी से देश को दिवालिया होने से बचाना है।
शरीफ ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट पर अपनी आर्थिक टीम के साथ बैठक के बाद यह कर लगाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सुपर टैक्स व्यवस्था लागू होने से देश के उच्च आय वाले व्यक्ति भी ‘गरीबी उन्मूलन कर’ के दायरे में आएंगे। शहबाज ने बताया कि 15 करोड़ रुपए से ज्यादा की सालाना आय वाले व्यक्तियों पर एक प्रतिशत कर लगेगा। वहीं, 20 करोड़ की आय पर दो प्रतिशत, 25 करोड़ की सालाना आय पर तीन प्रतिशत और 30 करोड़ रुपए की आय पर चार प्रतिशत का टैक्स लगाया जाएगा।
जिन क्षेत्रों पर यह सुपर टैक्स लगाया जाएगा, उनमें सीमेंट, स्टील, चीनी, तेल और गैस, उर्वरक, एलएनजी टर्मिनल, कपड़ा, बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, सिगरेट, पेय पदार्थ और रसायन शामिल हैं।
देश को दिवालिया होने से बचाना: शहबाज शरीफ ने राष्ट्र के नाम एक वीडियो संदेश में कहा, “हमारा पहला मकसद जनता को राहत देना और लोगों पर महंगाई के बोझ को कम करना और उन्हें सुविधा देना है।” उन्होंने आगे कहा, “हमारा दूसरा मकसद देश को दिवालिया होने से बचाना है।” पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि देश इमरान खान के नेतृत्व वाली पिछली सरकार की अक्षमता और भ्रष्टाचार के कारण तबाह हो गया है।
सरकार ने उठाया कठोर कदम: पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सरकार सत्ता में आई थी, तब उसके पास दो विकल्प थे। या तो वह दोबारा चुनाव कराती या फिर कठोर फैसले लेकर देश के आर्थिक हालात को सुधारती। उन्होंने कहा कि यह बेहद आसान था कि लोगों को परेशानी में छोड़ दिया जाए और दूसरों की तरह मूक दर्शक बनकर तमाशा देखा जाए। शहबाज शरीफ ने कहा कि कठिन हालात होने के बावजूद सरकार ने कठोर कदम उठाने का फैसला किया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के इस घोषणा के बाद वहां के स्टॉक एक्सचेंज में बड़ी गिरावट देखने को मिली। मिनटों में बाजार 2000 अंक नीचे जा फिसला। पाकिस्तान सरकार ने अब तक ईंधन के दाम, बिजली की कीमतों से लेकर टैक्स में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही सरकार खर्चों में भी कटौती की गई है।