बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। हाल ही में दीपू चंद्र दास की बेरहमी से हत्या के बाद एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय कितना सुरक्षित है। बांग्लादेश में जो हालात नजर आ रहे हैं, कुछ हद तक वैसे ही हालात भारत के एक और पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी देखने को मिलते हैं। पाकिस्तान, जिसकी स्थापना ही धर्म के आधार पर हुई थी, वहां भी हिंदू अल्पसंख्यक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। आंकड़े साफ तौर पर उनके खिलाफ हो रहे उत्पीड़न की गवाही देते हैं।

पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति

पाकिस्तान में हिंदू कुल आबादी का करीब 1.2 प्रतिशत हैं और इनमें से अधिकांश सिंध प्रांत में रहते हैं। 2023 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में साल 2023 के दौरान जबरन विवाह और धर्मांतरण के 103 मामले सामने आए। इनमें सबसे ज्यादा निशाने पर अल्पसंख्यक हिंदू, खासकर हिंदू महिलाएं रहीं। अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ बार-बार उत्पीड़न की घटनाएं हुई हैं। यहां ईशनिंदा कानूनों के दुरुपयोग के जरिए हिंदुओं को सबसे ज्यादा परेशान किया गया है।

पाकिस्तान में हिंदू धार्मिक स्थल भी सुरक्षित नहीं हैं। 2025 में अल्पसंख्यक मामलों की संसदीय समिति के सामने पेश की गई एक रिपोर्ट ने शहबाज शरीफ सरकार की पोल खोल दी। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में कुल 1867 मंदिर मौजूद हैं और इसके साथ कुछ गुरुद्वारे भी हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 37 मंदिर ही चालू हालत में हैं। पाकिस्तान के ही दो प्रमुख अखबारों की रिपोर्ट बताती है कि कई सदियों पुराने मंदिर जर्जर हालत में हैं, क्योंकि सरकार उनके संरक्षण और रखरखाव पर ध्यान नहीं दे रही है।

बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति

पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश में भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं और वे अपने अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। कई बार सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिलते हैं। बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई यूनिटी काउंसिल की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2024 से जून 2024 के बीच 2442 सामाजिक हिंसा से जुड़े अपराध दर्ज किए गए। इनमें हत्या, यौन उत्पीड़न और आगजनी जैसी घटनाएं शामिल हैं।

इसी संगठन के मुताबिक, पिछले साल 2010 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें मंदिरों पर हमले और दुकानों में लूटपाट की गई। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर हुए हिंसक हमलों की संख्या 2022 में 47 थी, जो बढ़कर 2023 में 302 हो गई और 2024 में सीधे 2200 के पार पहुंच गई।

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