पाकिस्तान में विपक्षी दल रविवार को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि शहबाज शरीफ सरकार 27वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने जा रही है। विपक्ष ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि यह संविधान की नींव को हिला देगा।
संशोधन में अनुच्छेद 243 में बदलाव किए जाने का प्रस्ताव है इसके तहत चेयरमैन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) के पद को खत्म कर चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) नाम से नया पद शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा संघीय संवैधानिक न्यायालय की स्थापना और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन भी शामिल हैं।
अगर यह संविधान संशोधन पारित हो जाता है तो आसिम मुनीर पाकिस्तान के पहले सीडीएफ होंगे।
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संविधान संशोधन का मकसद सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम करना भी है। कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने शनिवार को ऊपरी सदन सीनेट में संशोधन पेश किया और सभापति यूसुफ रजा गिलानी ने इसे मतदान से पहले चर्चा के लिए सदन की समिति के पास भेज दिया।
समिति के अध्यक्ष फारूक नाइक ने मीडिया को बताया कि वे सदस्यों के बीच आम सहमति बनाकर इस काम को पूरा करेंगे।
सरकार को आशा है कि सोमवार को मतदान होने पर उसे कम से कम 64 सीनेटर का दो-तिहाई बहुमत मिल जाएगा। सीनेट के बाद इसे नेशनल असेंबली में पेश किया जाएगा, जहां इसे फिर से दो-तिहाई बहुमत से पारित होना होगा। अंतिम चरण में, इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी जरूरी होगी।
विपक्षी दलों के गठबंधन तहरीक-ए-तहाफुज आईन-ए-पाकिस्तान (टीटीएपी) ने संशोधन के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की है। मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) के प्रमुख अल्लामा राजा नासिर अब्बास ने एक बयान में कहा, “पाकिस्तान में लोकतांत्रिक संस्थाएं पंगु हो गई हैं… राष्ट्र को 27वें संशोधन के खिलाफ कदम उठाना चाहिए।”
इस गठबंधन में पश्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी), बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) और सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) भी शामिल हैं।
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डरे हुए हैं आसिम मुनीर- पीटीआई
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के एक सीनियर नेता ने कहा, “27वें संशोधन के बाद फील्ड मार्शल को आजीवन विशेषाधिकार प्राप्त होंगे और उनके खिलाफ जीवन भर कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा। आसिम मुनीर अपने ही बुरे कर्मों से इतना डरे हुए हैं कि वह अपने चारों ओर एक सुरक्षा दीवार खड़ी कर रहे हैं। मुनीर को इस बात का डर है कि देश के साथ उसने जो किया है, उसके लिए उसे कटघरे में खड़ा होना पड़ेगा, इसलिए वह अपने लिए आजीवन छूट हासिल कर रहा है।”
पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक हबीब अकरम ने इंडिया टुडे से कहा, “27वें संशोधन के बाद पाकिस्तान के राजनीतिक विवादों का हल अदालतों की पहुंच से बाहर हो जाएगा। इससे कड़वाहट बढ़ेगी और इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।” उन्होंने इसकी तुलना जनरल जिया-उल-हक के आठवें संशोधन से की।
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