नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिया गया है। उनको प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उनको दोषी करार दिया। नवाज का नाम पनामा पेपर में आया था। यह मामला 1990 के दशक में उस वक्त धनशोधन के जरिए लंदन में सपंत्तियां खरीदने से जुड़ा है जब शरीफ दो बार प्रधानमंत्री बने थे। शरीफ के परिवार की लंदन में इन संपत्तियों का खुलासा पिछले साल पनामा पेपर्स लीक मामले से हुआ। इन संपत्तियों के पीछे विदेश में बनाई गई कंपनियों का धन लगा हुआ है और इन कंपनियों का स्वामित्व शरीफ की संतानों के पास है। इन संपत्तियों में लंदन स्थित चार महंगे फ्लैट शामिल हैं।

बड़ी बातें:
– नवाज शरीफ पनामा के बैंक में कालाधन जमा करने के दोषी
– नवाज की बेटी और दामाद भी दोषी करार
– नवाज के भाई शाहबाज बन सकते हैं पीएम
– शाहबाज शरीफ अभी पंजाब के सीएम हैं
इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने दी थी याचिका
यह तीसरी बार है जब 67 वर्षीय शरीफ का प्रधानमंत्री का कार्यकाल बीच में ही खत्म हो गया। न्यायमूर्ति एजाज अफजल खान ने सर्वोच्च न्यायालय के कोर्ट नंबर-एक में फैसला पढ़कर सुनाया। इस मौके पर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ कार्यकर्ताओं ने अदालत के बाहर जश्न मनाया। अदालत ने शरीफ को संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के तहत अयोग्य ठहराया। इन अनुच्छेदों के अनुसार ससंद के सदस्य को ‘ईमानदार’ और ‘इंसाफ पसंद’ होना चाहिए। न्यायमूर्ति खान ने कहा, ‘‘वह संसद के सदस्य के तौर पर अयोग्य ठहराए जाते हैं इसलिए वह प्रधानमंत्री कार्यालय में बने रहने के योग्य नहीं रह गए।’’

सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (नैब) को भी आदेश दिया कि वह शरीफ, उनके बेटों हुसैन एवं हसन और बेटी मरियम के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला शुरू करे। उसने यह भी आदेश दिया कि छह हफ्ते के भीतर मामला दर्ज किया जाए और छह महीने के भीतर सुनवाई पूरी की जाए। रेडियो पाकिस्तान के अनुसार वित्त मंत्री इसहाक डार और नेशनल असेंबली के सदस्य कैप्टन मुहम्मद सफदर को भी पद के अयोग्य ठहराया।

 

वह पाकिस्तान के सबसे रसूखदार सियासी परिवार और सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन के मुखिया हैं। इस्पात कारोबारी-सह-राजनीतिज्ञ शरीफ पहली बार 1990 से 1993 के बीच प्रधानमंत्री रहे। उनका दूसरा कार्यकाल 1997 में शुरू हुआ जो 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद खत्म हो गया। सर्वोच्च न्यायालय ने शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए इसी साल मई में संयुक्त जांच दल (जेआईटी) का गठन किया था। जेआईटी ने गत 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी।

इस ऐतिहासिक फैसले को सुनाने वाली पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा ने की, जिन्होंने 20 अप्रैल के फैसले में मारियो पुजो के उपन्यास ‘द गॉडफादर’ के वाक्यांश का हवाला देते हुए राष्ट्र के प्रति ईमानदार न होने के लिए शरीफ को ‘अयोग्य’ घोषित किया था।