Pakistan FATF List: मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फ़ंडिंग की रोकथाम के अंतरराष्ट्रीय संगठन फ़ाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया है। इस खबर के आने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने वहां के नागरिकों को शुभकामनाएं दी हैं।

FATF होता क्या है ?

एफ़एटीएफ़ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना G7 देशों की पहल पर 1989 में की गई थी। साल 2001 में इसने अपनी नीतियों में आतंकवाद के वित्तपोषण को भी शामिल किया था। यह संस्थान अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को सही रखने के लिए नीतियां बनाता है और उसे लागू करवाने की दिशा में काम करता है। इसके कुल 39 सदस्य देश हैं। जिनमें भारत, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन भी शामिल है। FATF उन देशों को “ग्रे लिस्ट” में रखता है जो FATF के आकलन में अंतर्राष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने में विफल रहे हैं।

एफएटीएफ़ द्वारा किसी देश को ग्रे लिस्ट में डालने का मतलब है कि उस देश को चेतावनी दी जा रही है। समय रहते उन क़दमों पर रोक लगा दे ताकि मनी लॉन्ड्रिंग और चरमपंथी गुटों को मिलने वाली आर्थिक मदद पर अंकुश लगाया जा सके लेकिन इस चेतावनी के बाद भी अगर कोई देश वो क़दम नहीं उठाता तो उसे एफएटीएफ़ द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। एफ़एटीएफ़ के नियमों के अनुसार ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए किसी भी देश को तीन सदस्यों के समर्थन की ज़रूरत होती है।

पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिए जाने के बाद, अब 23 देश FATF की निगरानी में हैं। इन देशों में फिलीपींस, सीरिया, यमन, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, मोरक्को, जमैका, कंबोडिया, बुर्किना फासो और दक्षिण सूडान और बारबाडोस, केमैन आइलैंड्स और पनामा के टैक्स हेवन हैं। इन देशों को FATF द्वारा निर्धारित कुछ शर्तों का पालन करना होता है, जिसके विफल होने पर वे वॉचडॉग द्वारा “ब्लैक लिस्टेड” होने का जोखिम उठाते हैं। उनके अनुपालन की FATF द्वारा समय-समय पर समीक्षा की जाती है।

तो क्या पाकिस्तान ने यह सब FATF की संतुष्टि के लिए किया है?

FATF के अनुसार जून 2018 में जब जब पाकिस्तान को पहली बार ग्रे-लिस्ट किया गया था तो पाकिस्तान ने उच्चतम राजनीतिक स्तर पर एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता की थी कि वह “एफएटीएफ के साथ अपने एएमएल / सीएफटी शासन को मजबूत करने के लिए काम करेगा और अपने आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण से संबंधित कमियों को दूर करने के लिए काम करेगा।

21 अक्टूबर को FATF ने घोषणा की कि “पाकिस्तान ने अपने AML/CFT शासन की प्रभावशीलता को मजबूत किया है और रणनीतिक कमियों के संबंध में अपनी कार्य योजनाओं की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए तकनीकी कमियों को दूर किया है, जिसे FATF ने जून 2018 और जून 2021 में पहचाना था, जिनमें से बाद में समय सीमा से पहले पूरा किया गया था, जिसमें कुल 34 कार्रवाई आइटम शामिल थे। इसलिए पाकिस्तान अब FATF की बढ़ी हुई निगरानी प्रक्रिया के अधीन नहीं है”

ठीक है, लेकिन क्या यह सच है ? एक आधिकारिक बयान में भारत ने उल्लेख किया है कि “एफएटीएफ की जांच के परिणामस्वरूप, पाकिस्तान को जाने-माने आतंकवादियों के खिलाफ कुछ कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया है जिनमें से कुछ 26/11 हमले के नाम शामिल थे। हालांकि, “यह वैश्विक हित में है कि दुनिया स्पष्ट है कि पाकिस्तान को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों से आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ विश्वसनीय, सत्यापन योग्य, अपरिवर्तनीय और निरंतर कार्रवाई करना जारी रखना चाहिए”

पाकिस्तान को इससे क्या फायदा मिलेगा ?

FATF की बैठक से पहले पाकिस्तानी के दैनिक अखबार डॉन ने एक खबर छापी थी, जिसमें कहा था कि “यदि पाकिस्तान को ग्रे सूची से हटा दिया जाता है तो पाकिस्तान को अनिवार्य रूप से एक प्रतिष्ठित बढ़ावा मिलेगा और पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय संबंध बेहतर होंगे। ऐसे शोध हैं जो सुझाव देते हैं कि ग्रे-लिस्टिंग संबंधित देशों के अंतरराष्ट्रीय फंडर्स के साथ संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, जिसमें बैंक और वित्तीय संस्थान शामिल हैं जो एफएटीएफ रैंकिंग पर ध्यान देते हैं, साथ ही उन देशों में मौजूदा और संभावित विदेशी निवेशक भी हैं।

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है और पाकिस्तान को मदद और निवेश की सख्त जरूरत है। 21 अक्टूबर को, FATF की घोषणा से ठीक पहले वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने मूडीज के बाद देश की संप्रभु रेटिंग को ‘B-‘ से ‘CCC+’ कर दिया, जिसने पहले महीने में पाकिस्तान की रेटिंग को ‘B3’ से घटाकर ‘Caa1’ कर दिया था।