पाकिस्तान में जारी आर्मी चीफ के विवाद के बीच एक पूर्व जनरल के बेटे को सिर्फ इसलिए पांच साल की सजा हो गई है, क्योंकि उसने वर्तमान आर्मी चीफ बाजवा के खिलाफ पत्र लिख दिया था। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में पत्रकारों पर भी अत्याचार बढ़ता जा रहा है।

आर्मी चीफ की आलोचना में युवक गया जेल- पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से इस्तीफे की मांग करने पर एक सेवानिवृत्त मेजर जनरल के बेटे को पांच साल की सजा सुनाई है। द न्यूज इंटरनेशनल ने बीबीसी उर्दू सर्विस के हवाले से बताया है कि दोषी ने कथित तौर पर सेनाध्यक्ष बाजवा को दिए गए विस्तार की आलोचना करते हुए एक पत्र लिखकर उनका इस्तीफा मांगा था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सजा पा चुका युवक मेजर जनरल (रि.) जफर मेहदी अस्करी का बेटा हसन अस्करी है। हसन एक कंप्यूटर इंजीनियर है और उसने पिछले साल सितंबर में बाजवा के खिलाफ पत्र लिखा था। इस साल जुलाई में उसे सैन्य अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई थी।

पाकिस्तान में पत्रकार असुरक्षित- कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने इस साल अपने वार्षिक ग्लोबल इंप्यूनिटी इंडेक्स में पाकिस्तान को नौवें स्थान पर रखा है। यानि कि पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर यह देश नौवें स्थान पर है। यहां पत्रकारों की हत्या के कई मामले आज भी अनसुलझे हैं और आरोपी कानून की पकड़ से बहुत दूर हैं। पाकिस्तान में हर साल कई पत्रकार, आपराधिक हमलों का शिकार हो जाते हैं, और अपनी जान गंवा बैठते हैं। इनके हत्यारों पर भी कोई कड़ी कार्रवाई नहीं देखी गई है।

सीपीजे के वार्षिक ग्लोबल इंप्युनिटी इंडेक्स के अनुसार पत्रकारों की अनसुलझी हत्याओं के लिए सोमालिया दुनिया का सबसे खराब देश बना हुआ है। हालांकि, नए डेटा के अनुसार अफगानिस्तान की स्थिति भी जस की तस है। इस बार भी अफगानिस्तान पांचवें नंबर है। यानि पत्रकारों की स्थिति वहां भी कुछ अच्छी नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 सालों में पत्रकारों की हत्या के 81 प्रतिशत मामलों में किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।